IAS savita Pradhan: हमने आज तक कई लोगों की सफलता की कहानी सुनी और पढ़ी होगी, लेकिन आज हम आपको एक ऐसी लड़की की कहानी बताने जा रहे हैं, जिसे ससुराल में खाने को भी नहीं मिलता था. इसके चलते भी उसने अपने हौंसले को कम नहीं होने दिया. आज ये लड़की एक आईएएस ऑफिसर है, जिनका नाम सविता प्रधान है. 


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आईएएस सविता प्रधान का एक अधिकारी बनने का सफर इतना आसान नहीं था. आईएएस सविता प्रधान के दो बच्चे हैं. आईएएस सविता प्रधान एमपी के मंडी गांव के एक आदिवासी परिवार से हैं. उन्होंने अपने गांव में 10वीं तक पढ़ाई की. वह अपने गांव की पहली लड़की थी, जिन्होंने बोर्ड एग्जाम पास किया.  


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सविता प्रधान के माता-पिता ने सात किलोमीटर दूर उनका स्कूल में उनका एडमिशन करवाया, ताकि उनको स्कॉलरशिप मिल सके. वह रोज स्कूल पदैल जाती थी. इसके चलते उन्होंने जैसे-तैसे बायोलॉजी से इंटरमीडियट की पढ़ाई पूरी की. 


वहीं, इसके बाद सविता के परिवालों ने उनकी मर्जी के खिलाफ 16-17 की उम्र में सगाई कर दी. शादी के बाद उनके ससुरालवाले उन पर जुल्म करने लगे और उनके साथ मारपीट करते. इस दौरान उन पर बहुत सी पाबंदी लगाई गई. सविता को ना तो साथ बैठकर खाना खाने की इजाजत थी और ना ही उन्हें हंसने-बोलने दिया जाता था. 


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यहां तक की उनके ससुराल में एक बार खाना खत्म होने के बाद दुबारा खाना बनाने की इजाजत नहीं थी. इसके डर से सविता प्रधान अंडरगार्मेंट में रोटियां छिपाकर रखती थी. वहीं, उनके पति भी उनके साथ मारपीट करता था. इस समय तक सविता दो बच्चों की मां बन चुकी थी. वह अपने ससुरालवालों और पति से तंग आकर फांसी लगाने की कोशिश की. ये देख उनकी सांस ने उन्हें बचाया भी नहीं और वह ये सब देखती रही. 


वहीं, इसके बाद  सविता प्रधान ने अपने बच्चों के साथ ससुराल छोड़ दिया और पार्लर में काम करके अपनी पढ़ाई शुरू की. उन्होंने इंदौर यूनिवर्सिटी से पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन से मास्टर्स की पढ़ाई पूरी की.