Jaipur: राजस्थान में केंद्र सरकार की मनरेगा योजना में दिव्यांगजनों को रोजगार नहीं मिल पा रहा है, जिसके बाद में विशेषयोग्यजन न्यायालय ने बड़ा निर्णय लिया है.


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न्यायालय आयुक्त उमाशंकर शर्मा ने पंचायतीराज विभाग को निर्देश दिया है कि वे केंद्र सरकार को दिव्यांगजनों के लिए मनरेगा योजना में आरक्षण का प्रस्ताव भिजवाए ताकि दिव्यांगजनों को 100 दिन का रोजगार नरेगा में मिल पाए. इस संबंध में डिसेबिलिटी राइट्स एक्टिविस्ट हेमंत भाई गोयल ने परिवाद दायर किया था. करौली के रहने वाले कृष्ण कुणाल के दोनों हाथ नहीं है. वे पिछले एक साल से बेरोजगार हैं. रोजगार के लिए उन्होंने बार-बार मनरेगा योजना में आवेदन किया, लेकिन आज तक 100 दिन का रोजगार नहीं मिला. कृष्ण कुणाल जैसे बहुत से दिव्यांगजन ऐसे होंगे, जो लाचार हैं, बेबस हैं.


हालांकि राज्य सरकार के बजट घोषणा में राज्य मद से 100 दिन का अतिरिक्त रोजगार उपलब्ध करवाने का प्रावधान था, लेकिन 200 दिन तो क्या राज्य में 100 दिन का रोजगार दिव्यांगजनों को नहीं मिल पा रहा है. न्यायालय ने अपने निर्णय में कहा है कि राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम 2005 में दिव्यांगों को कार्य नियोजन में लक्ष्य निर्धारण के संबंध में कोई प्रावधान नहीं होने और केंद्र सरकार द्वारा इस विषय में कोई दिशा निर्देश प्राप्त नहीं होने पर आदेश दिया जाता है कि इस वर्ग के हित, कल्याण और स्वावलंबन को ध्यान में रखते हुए नरेगा योजना में दिव्यांगों को बाधा रहित अधिक से अधिक रोजगार उपलब्ध कराने के उद्देश्य से दिव्यांगजन के लिए अनुकूल तंत्र विकसित करें और लक्ष्य निर्धारण के लिए केन्द्र सरकार को प्रस्ताव भिजवाएं.


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परिवाद में ग्रामीण विकास विभाग को सम्मन जारी किया गया.विभाग ने न्यायालय को अवगत कराया कि यह सही है कि दिव्यांग जनों को नरेगा योजना में आरक्षण का प्रावधान नहीं है, लेकिन अधिनियम में संशोधन राज्य सरकार द्वारा नहीं किया जा सकता. नरेगा केन्द्रीय अधिनियम होने के कारण इसमें संशोधन ग्रामीण विकास मंत्रालय केंद्र सरकार के स्तर पर किया जा सकता है. ऐसे में केंद्र सरकार इस निर्णय पर कितना सतर्क होता है, कितनी जल्दी दिव्यांगजनों को राहत मिल पाती है.