Health News: यूं तो हमारे देश में हर एक मौसम का अलग ही मजा होता है, लेकिन मानसून का समय सबसे अच्छा माना जाता है, क्योंकि यह मौसम प्रकृति को महसूस करने के लिए सबसे अच्छा होता है और इस मौसम को लोग बहुत पंसद भी करते है. हालांकि, मानसून का मौसम अपने साथ कुछ बिन बुलाई बीमारियां और ठंडक भी लेकर आता है. बरसात के मौसम में किसी की भी इम्यूनिटी वीक हो सकती है. इस मौसम में वायरल बुखार, डेंगू, स्वाइन फ्लू, जैसी कई बीमारियों के होने का डर हमेशा सताता रहता है.


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अब सवाल यह उठता है कि आखिर कैसे इस खूबसूरत मौसम का मजा लिया जाए? तो चलिए जानते है कि आखिर कैसे बारिश के मौसम में घर बैठे बिना जिम जाए फिट रहा जा सकता है. कुछ ऐसे योगासन, खाने की अच्छी आदतें, एक्सरसाइज और आराम ऐसे फेक्ट है, जो बरसात के मौसम में आपको सुरक्षित रखते हैं


पादंगुष्ठासन (पैर का अंगूठा): 
पादंगुष्ठासन (Padangusthasana) संस्कृत भाषा का शब्द है. यह शब्द तीन शब्दों को मिलाकर बना है. जिसमें पहले शब्द पाद का अर्थ होता है, पैर यानी Legs या Feet, दूसरे शब्द अंगुष्ठ का अर्थ होता है अंगूठा या Big Toe, आसन किसी विशेष स्थिति में खड़े होने, लेटने या बैठने को कहा जाता है और अंग्रेजी भाषा में इसे पोज (Pose) भी कहा जाता है. यह आसन शरीर की हर मांसपेशियों को सिर से पैर तक फैलाता है, जो शरीर को आराम देता है और बेचैनी को शांत करता है, इसके साथ ही यह मांसपेशियों के अलावा फ्लैट पैरों के लिए भी बेहतर माना जाता है.


त्रिकोणासन (त्रिकोण मुद्रा): 
त्रिकोणासन योग करते समय शरीर का आकार त्रिकोण (ट्रीअंगेल) के जैसा हो जाता है, इसलिए इसे त्रिकोणासन या ट्रीअंगेल पोज भी कहा जाता हैं. इस आसन से मोटापे को बहुत ही आसान तरीके से घटाया जा सकता है. इसका नियमित अभ्यास करने से पेट, कमर, जांघ और नितंब पर जमी अतिरिक्त चर्बी को सरल तरीके से कम किया जा सकता हैं.


भुजंगासन (कोबरा पोस्ट): 
भुजंगासन, सूर्य नमस्कार के 12 आसनों में से 8वां है. भुजंगासन को सर्पासन, कोबरा आसन या सर्प मुद्रा भी कहते है. इस मुद्रा में शरीर सांप की आकृति जैसा बन जाता है और यह आसन जमीन पर लेटकर और पीठ को मोड़कर किया जाता है और इसमें सिर सांप के उठे हुए फन की मुद्रा में होता है और यह तेजी से आपके तनाव को भी दूर करता है.


वृक्षासन (वृक्ष मुद्रा): 
वृक्षासन संस्कृत भाषा का शब्द है जिसका शाब्दिक अर्थ होता है, वृक्ष यानी कि पेड़ जैसा आसन. इसमें योगी का शरीर पेड़ के जैसा बन जाता है और वैसी ही गंभीरता और विशालता को खुद में समाने की कोशिश करता है. वृक्षासन हठयोग का शुरुआती लेवल का आसन है और इसको करते समय एक टांग पर सिर्फ एक मिनट तक ही खड़े रहने की सलाह दी जाती है, इसके बाद यह आसन दूसरी टांग पर करना चाहिए और हर टांग पर कम से कम 5 बार इस आसन को करना चाहिए.  


शिशुआसन (बाल मुद्रा): 
बालासन दो शब्दों को मिलाकर बना है: बाल और आसन जिसमें बाल का अर्थ होता है बच्चा या शिशु और आसन का मतलब होता है मुद्रा. इस आसन में हमारी मुद्रा ठीक उस तरह होती है जैसे की एक भ्रूण अपनी मां के पेट में होता है. इस आसन को शिशुआसन भी कहा जाता है. यह बहुत ही आरामदायक आसन है और अक्सर लोग इसे व्यायाम करने के बाद या बीच में विश्राम करने के लिए करते हैं.


ताड़ासन (पर्वत मुद्रा): 
ताड़ासन एक ऐसा योगासन है जो आपकी सेहत को ठीक रखता है और इसे माउंटेन पोज के नाम से भी जाना जाता है. यह कब्ज में भी मदद करता है और पेट को स्वस्थ भी रखता है. ताड़ासन सबसे मौलिक योग आसनों में से एक है, यह सभी स्तरों के लिए एक चैलेंज जैसा है और कई तरह के शारीरिक और भावनात्मक लाभ देने वाला होता है. ताड़ासन शरीर और दिमाग को शांत भी करता है.