Jaipur: राजस्थान मेलों और उत्सव की धरती है. ऐतिहासिक और पुरातात्विक वैभव के साथ यहां की संस्कृति भी आकर्षण में बांधती है. प्रदेश का उद्योग महकमा अब इस खूबी को कारोबार में बदलने की तैयारी कर रहा है. मकसद यह है कि राजस्थान की लुप्त हो रही कलाओं का संर्वद्वन और आर्टिजन की आर्थिक मदद करना है. 


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इसके लिए उद्योग महकमा रूडा, राजसिको, खादी ग्रामोद्योग सहित ग्रामीण संस्थाओं के सहयोग से मेलों में अस्थायी शॉपिंग स्टॉल्स लगाने की तैयारी कर रहा है. इसमें अवसर प्रदेश सरकार से पंजीकृत दस्तकारों, हस्तकला से जुड़े आर्टिजन को दिया जाएगा. 


उद्योग मंत्री शकुंतला रावत का कहना है कि मेलो में स्टॉल लगाने से राजस्थान के हैंडीक्राफ्ट, कला और कारीगरों को बढ़ावा मिलेगा. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के निर्देश पर प्रदेश में लगने वालों में मेले में आर्टिजन की भागीदारी सुनिश्चित करने और इनकी कला को आम आदमी तक पहुंचाने के प्रयास होंगे. 


राजस्थान सरकार उद्योग महकमा इसके लिए नया प्लान तैयार कर रहा है. योजन बनाकर प्रत्येक जिले और तहसील की कला को मंच और नया बाजार देने की तैयारी है. प्रदेश के प्रमुख मेलों में बुनकरों और हैंडक्राफ्ट उत्पादन निर्माताओं को जगह आवंटित कर बिक्री स्थल उपलब्ध करवाया जाएगा. सभी जिलों के आधार पर इसके लिए सूची बनाई जा रही है. रूडा, रासिको, खादी ग्रामाधोग सहित ग्रामीण विकास से जुड़े विभागों का भी इसमें सहयोग लिया जाएगा. 


राजस्थान में लगने वाले प्रमुख मेलेः 
गोगामेड़ी मेला, हनुमानगढ़
बादशाह मेला, ब्यावर, (अजमेर)
फूलडोल मेला, शाहपुरा(भीलवाड़ा)
शीतला माता का मेला, चाकसू (जयपुर)
ऋषभदेव जी/ केसरिया नाथ मेला, धुलेव( उदयपुर)
जौहर मेला, चित्तौड़गढ़ दुर्ग, (चित्तौड़गढ़)
जसनाथ जी का मेला, कतरियासर, (बीकानेर)
मेहंदीपुर बालाजी मेला, मेहंदीपुर,( दोसा)
सालासर बालाजी मेला, सालासर, (चूरू)
घोटिया अंबा मेला, घोटिया ( बांसवाड़ा)
कैला देवी का मेला, (करौली)
श्रीमहावीर जी मेला, (करोली)
करणी माता का मेला, देशनोक, (बीकानेर)
बाणगंगा मेला, विराटनगर, (जयपुर)
मातृकुंडिया मेला, राशमी ( चित्तौड़गढ़)
सीताबाड़ी मेला, केलवाड़ा (बारां)
गोगाजी का मेला, नोहर, (हनुमानगढ़)
रामदेवरा मेला, रुणिचा, (जैसलमेर)
रानी सती का मेला, (झुंझुनू )
भृतहरी मेला, (अलवर)
पुष्कर मेला, (अजमेर)
मानगढ़ धाम मेला, (बांसवाड़ा)


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उद्योग विभाग की इस योजना से एक तरफ कोरोना की मार झेल रहे आर्टिजन को आर्थिक मदद मिलेगी. साथ हीं, दूसरी तरफ राजस्थान की उत्पादन क्षमता देश दुनिया देख पाएगी. आर्टिजन को प्रोत्साहन मिलने से लुप्त हो रही कई कलाओं को भी संबल मिलेगा. 


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