झुंझुनूं में प्रधानमंत्री ने दिया नया नारा, PM मतलब मोदी नहीं, `पोषण मिशन`
अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राजस्थान के झुंझुनूं में कहा कि दान हो या बलिदान यह जिला कभी पीछे नहीं हटा. किसी भी समाज के लिए इससे बड़ी पीड़ा नहीं हो सकती है कि हमें बेटियों को बचाने के लिए प्रयास करना पड़ रहा है. स्त्री-पुरुष की समानता से यह समाज चलता है.
नई दिल्ली: अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राजस्थान के झुंझुनूं में कहा कि दान हो या बलिदान यह जिला कभी पीछे नहीं हटा. किसी भी समाज के लिए इससे बड़ी पीड़ा नहीं हो सकती है कि हमें बेटियों को बचाने के लिए प्रयास करना पड़ रहा है. स्त्री-पुरुष की समानता से यह समाज चलता है. झुंझुनूं ने मुझे आने को मजबूर कर दिया. आज पूरा देश झुंझुनूं से जुड़ गया है. पीएम मोदी ने कहा कि बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान का देश के सभी जिलों में विस्तार हो रहा है. बेटी अब बोझ नहीं, समाज की आन-बान शान हैं. पीएम ने कहा कि जब तक हमारे जेहन में बेटा-बेटी एक समान की भावना नहीं होगा, तब तक बेटियों को कोख में मार दिया जाएगा. पीएम मोदी ने कहा कि प्रधानमंत्री का लोग चाहे जितनी निंदा करें, लेकिन देश की बेटियों की सेहत से खिलवाड़ या भेदभाव न करें. आज से पीएम का मतलब पोषण मिशन होगा. पीएम मोदी ने राष्ट्रीय पोषण मिशन का उद्घाटन किया.
पीएम मोदी ने कहा कि 18वीं सदी में बेटियों को जन्म दिया जाता था, फिर उन्हें दूध में डूबोकर मार दिया जाता था. अब और भी हालात खराब हो गए हैं. लोग गर्भ में ही बेटियों को मार देते हैं. हम उन्हें यहां आने ही नहीं देते हैं.
पीएम ने कहा कि हर परिवार को बेटी बचाने का संकल्प लेना चाहिए. ऐसे परिवार देखे हैं जिनके 4-4 बेटे हैं, लेकिन उनके मां-बाप बुढ़ापे में वृद्धाश्रम में रहते हैं. मैंने कई ऐसी बेटियां भी देखी हैं, जिन्होंने मां-बाप की खातिर शादी नहीं कीं. पीएम ने कहा कि बच्चों के कुपोषण के लिए बाल विवाह भी बड़ा कारण है. छोटी उम्र में मां बनने से बच्चों का समुचित विकास नहीं हो पाता है. बेटा-बेटी में संतुलन बनाने के लिए एक आंदोलन चलाने की जरूरत है.
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इस वजह से पीएम ने झुंझुनूं को चुना
आपके जेहन में सवाल उठ रहे होंगे कि आखिर पीएम मोदी ने झुंझुनूं को क्यों चुना. दरअसल, झुंझुनूं राजस्थान में सबसे खराब लिंगानुपात के लिए बदनाम जिला रहा है. लेकिन 'बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ' अभियान की शुरुआत के बाद झुंझुनूं ने बेटियों को कोख में बचाने को लेकर मिसाल पेश की है. जनगणना-2011 में राजस्थान के 33 जिलों में सबसे खराब लिंगानुपात वाले इस जिले में लड़कियों की संख्या में तेजी से बढ़ोतरी हुई. तब 1000 लड़कों पर महज 837 लड़कियां थीं, वहीं अब संख्या सुधरकर 955 हो गई है.
प्रशासनिक प्रयासों से हुए इस सुधार के लिए झुंझुनूं को महिला एवं बाल विकास मंत्रालय पिछले दो साल में कई बार सम्मानित भी कर चुका है. यही कारण है कि महिला दिवस के मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी यहीं से बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ अभियान को विस्तार देने के साथ ही राष्ट्रीय पोषण मिशन की शुरुआत भी करेंगे. बताया जा रहा है कि साल के अंत में होने वाले विधानसभा चुनावों को देखते हुए यह कवायद हो रही है. पीएम मोदी लिंगानुपात में उत्कृष्ट सुधार लाने वाले देश के 10 कलेक्टर्स का सम्मान भी करेंगे. जनवरी 2015 के बाद बेटियों को जन्म देने वाली 200 मांओं से भी मिलेंगे.