Jaipur: बीवीजी कंपनी के नगर निगम पर बकाया 276 करोड़ रुपए के भुगतान के बदले बीस करोड़ रुपए की रिश्वत मांगने से जुडे़ मामले में जांच अधिकारी ने हाईकोर्ट को जानकारी दी है कि जांच एजेंसी के पास रिश्वत मांगने से जुडे़ मामले की रिकॉर्डिंग की सिर्फ कॉपी ही है. इस कॉपी के आधार पर ही मामला दर्ज किया गया था. 


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जांच अधिकारी ने स्वीकार किया की एजेंसी के पास की गई बातचीत की मूल रिकॉर्डिंग ही नहीं है. इस पर अदालत ने आईओ की ओर से पेश पेन ड्राइव को रिकॉर्ड पर लेते हुए निंबाराम और बीवीजी कंपनी के प्रतिनिधि संदीप कुमार चौधरी के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई करने पर रोक लगा दी है. वहीं अदालत ने मामले में ओमकार सप्रे की ओर से पेश याचिका को भी इस याचिका के साथ 28 मार्च को सूचीबद्ध करने को कहा है. जस्टिस फरजंद अली ने यह आदेश संदीप चौधरी और निंबाराम की आपराधिक याचिका पर सुनवाई करते हुए दिए. 


अदालत ने कहा कि ओमकार सप्रे को बातचीत रिकॉर्ड करने वाला बताया गया है और उसकी गिरफ्तारी के बाद उसकी ओर से बातचीत की रिकॉर्डिंग उपलब्ध कराने की बात कही गई है, लेकिन अब तक रिकॉर्डिंग बरामद नहीं की गई है. वहीं राज्य सरकार की ओर से अतिरिक्त महाधिवक्ता जीएस राठौड़ ने कहा कि उन्हें यह साबित करने के लिए समय दिया जाए कि अदालत में पेश रिकॉर्डिंग की कॉपी सही और विश्वसनीय साक्ष्य है. इस पर अदालत ने मामले की सुनवाई 28 मार्च को तय करते हुए याचिकाकर्ताओं के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई करने पर रोक लगा दी है.


याचिका में कहा गया कि उनके खिलाफ जांच एजेंसी के पास कोई साक्ष्य नहीं है. उन्हें राजनीतिक द्वेषता के चलते फंसाया गया है. इसके अलावा ऑडियो-वीडियो में बदले की भावना से कांट-छांट की गई है. इसलिए उनके खिलाफ दर्ज एफआईआर को रद्द किया जाए. गौरतलब है कि मामले में सुनवाई करते हुए गत 18 फरवरी को अदालत ने जांच अधिकारी को बातचीत की ऑडियो-वीडियो क्लिप पेश करने के निर्देश दिए थे.


Reporter: mahesh pareek