Rajasthan News: कहने को यूं तो SMS अस्पताल (Sawai Mansingh Hospital)प्रदेश का सबसे बड़ा अस्पताल है. प्रदेश के सबसे बड़े अस्पताल में जहां मरीज अपनी आखिरी उम्मीद लेकर आता है. ये अस्पताल प्रशासन की अनदेखी के चलते निरंतर हादसों का अड्डा अस्पताल बनता जा रहा है. अस्पताल में आए दिन नई घटनाएं देखने को मिल रही हैं. 


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अभी कुछ ही दिन पहले न्यूरो आईसीयू की छत पर लगी फॉल सीलिंग गिर गई जिसके बाद उसको उपयोग के लिए बंद कर दिया गया था. ताज्जुब की बात यह है कि बुधवार को जर्नल सर्जरी विभाग के ओटी नंबर 2 की फॉल सीलिंग गिर गई. उसके बाद अस्पताल की मोर्चरी में आग लग गई. उसके बाद दिन में बिजली गुल हो गई. जिससे मरीजों को भारी परेशानी उठानी पड़ी.



एक ही दिन में बिजली गुल, मोर्चरी में आग, जनरल सर्जरी ओटी की फॉल सीलिंग का गिरना


राज्य सरकार स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर बनाने के लिए अथक प्रयास कर रही है, लेकिन अस्पतालों में इस तरह की घटनाएं प्रशासन की कमजोरियों को उजागर करती हैं. करोड़ों के बजट के बावजूद, अस्पतालों की मरम्मत और रखरखाव के कार्यों में लापरवाही बरती जा रही है. इस घटना के बाद मरीजों और उनके परिजनों ने अस्पताल प्रशासन के खिलाफ आक्रोश व्यक्त किया है.


अस्पताल पर कितना भार


SMS अस्पताल में रोज के 10 हजार से ज्यादा मरीज आउटडोर में और वहीं लगभग इतने ही मरीज इंडोर में उपस्थित रहते हैं. एसएमएस अस्पताल की बात की जाए तो रोज के 50,000 से ज्यादा लोगों का फुट फॉल रहता है, इस परिस्थिति में एसएमएस अस्पताल में होने वाले निरंतर हादसे किसी बड़ी अनहोनी का कारण बन सकते हैं. परंतु प्रशासन की उदासीनता के चलते यह घटनाएं प्रशासन के लिए आम हो गईं हैं.


अस्पताल प्रशासन का स्पष्टीकरण


हादसे के बाद अस्पताल प्रशासन ने अपना स्पष्टीकरण दिया है. SMS अस्पताल के प्रवक्ता डॉ मनीष अग्रवाल का कहना है कि अस्पताल प्रशासन पूरी तरह से मुस्तैद है. आग लगी है जनहानि नहीं हुई है. समय रहते आग पर काबू पाया गया. फॉल सीलिंग की बात करें तो पीडब्ल्यूडी को अवगत करवा दिया गया है. प्रशासन ने मूल्यांकन कर पीडब्ल्यूडी को अवगत करवाया है.



बहरहाल,अस्पताल प्रशासन ने अपना स्पष्टीकरण देते हुए पल्ला झाड़ लिया है लेकिन, सवाल उन मरीजों का है जो बड़ी आस के साथ इलाज के लिए अस्पताल आते हैं. जब ऐसे हादसे उनके सामने होते है तो उनको अपने इलाज के लिए कई हफ्तों तक इंतजार करना पड़ता है. इन हादसों को देखते हुए लगता है कि अस्पताल प्रशासन को किसी बड़े हादसे का इंतजार कर रहा है.