Jaipur news: राजस्थान के जयपुर अतिरिक्त सत्र न्यायालय क्रम-2 महानगर प्रथम ने घरेलू हिंसा अधिनियम से जुडे मामले में इंग्लैंड निवासी डॉक्टर पत्नी को भरण-पोषण भत्ता दिलवाने से इनकार करते हुए उसकी अपील खारिज कर दी है. 


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अदालत ने कहा की मामले के तथ्यों व परिस्थितियों से प्रार्थी पत्नी के साथ अप्रार्थी पति व अन्य की ओर से घरेलू हिंसा करना प्रथम दृष्टया साबित नहीं है. ऐसे में अधिनियम 2005 के तहत उसे किसी तरह का अनुतोष दिलवाने का आदेश दिया जाना न्यायोचित नहीं है. 



अदालत ने मामले में अधीनस्थ कोर्ट के फैसले में दखल से इनकार करते हुए कहा कि निचली अदालत ने प्रार्थिया व अन्य को मासिक 15 लाख रुपए अंतरिम भरण पोषण दिलवाने के लिए दायर किए प्रार्थना पत्र को खारिज करने में गलती नहीं की है.



प्रार्थी पत्नी ने अधीनस्थ कोर्ट में घरेलू हिंसा कानून के तहत पति से स्वयं व अपनी दो बेटियों के लिए 15 लाख रुपए मासिक अंतरिम भरण-पोषण भत्ता दिलवाने का प्रार्थना पत्र पेश किया था. प्रार्थना पत्र में पति सहित अन्य घरवालों पर दहेज के लिए प्रताडित करने का आरोप लगाया था. प्रार्थना पत्र में कहा गया था कि पति ने उसका शारीरिक, मानसिक और लैंगिक शोषण किया है. 



बेटियों के जन्म के दौरान भी पति ने कोई सहयोग नहीं दिया और उस पर नौकरी छोडने का दबाव डाला गया. जवाब में पति के अधिवक्ता दीपक चौहान ने कहा कि प्रार्थी शादी से पहले ही नेत्र चिकित्सक की नौकरी कर रही थी. उसने ना तो उसे दहेज के लिए प्रताडित किया और ना ही नौकरी छोड़ने के लिए कहा गया. इसलिए भरण-पोषण का प्रार्थना पत्र खारिज किया जाए. जिस पर सुनवाई करते हुए अदालत ने उसकी प्रार्थना पत्र खारिज कर दिया.


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