Rajasthan News: 20 दिसंबर को जयपुर में हुए हादसे ने हर किसी का दिल दहला दिया. एक साथ दर्जनों वाहनों के चपेट में आने और लोगों की मौत होने को लेकर लोग चिंतित हुए नजर आए. बर्निंग हाईवे बने जयपुर-अजमेर रोड पर NHAI की लापरवाही और मनमानी जानलेवा बनती जा रही है.


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NHAI के नियमों के अनुसार, हाईवे पर 2 किलोमीटर दूरी पर एक (तिराहा-चौराहा व यू-टर्न) के लिए कट होना चाहिए, लेकिन राजधानी के इस व्यस्त हाईवे पर मनमर्जी से कट और तिराहे-चौराहे बना दिए गए हैं.जिला कलेक्टर डॉ.जितेन्द्र कुमार सोनी ने इन घटनाओं के लिए स्पीड को जिम्मेदार माना है.



जयपुर के भांकरोटा इलाके में हुए गैस टैंकर ब्लास्ट ने कई परिवारों की खुशियां और अपने दोनों को छीन लिया. यह हादसा जितना भयावह था, उतनी ही दर्दभरी इस हादसे से जुड़ी कहानियां हैं. 18 लोगों की मौत हो चुकी है.



कुछ अस्पताल में जिंदगी-मौत की जंग लड़ रहे हैं. हालांकि इनकी भरपाई नहीं हो सकती हैं लेकिन इतना जरूर हैं कि भांकरोटा अग्निकांड के मामले में सरकार की ओर से गठित जांच कमेटियां अपने-अपने तरीके से रिपोर्ट तैयार कर रही हैं, लेकिन असलियत यह है कि ये रिपोर्ट्स अक्सर सरकारी बस्ते में दबकर रह जाती हैं. पिछले हफ्ते जयपुर के भांकरोटा में हुई दुर्घटना के बाद जयपुर कलेक्टर ने इन घटनाओं के लिए स्पीड को जिम्मेवार माना है.



कलेक्टर ने हाल ही में लिखे एक पत्र में नेशनल हाईवे ऑथोरिटी ऑफ इंडिया (NHAI), पीडब्ल्यूडी, जेडीए और नगर निगम समेत अन्य एजेंसियों को शहर की मुख्य सड़कों, राष्ट्रीय राजमार्गों, स्टेट हाईवे आदि जगह जहां कट है या यूटर्न की स्थिति है,उन जगहों से कुछ दूर पहले रंबल स्ट्रिप्स बनाने के निर्देश दिए है.



इसके साथ ही इन रंबल स्ट्रिप्स से पहले कैट्स आई, नियोन साइनेज लगाने के लिए कहा है, ताकि इन कट, यूटर्न के पास मुख्य रोड से आने वाले ट्रैफिक की स्पीड को कंट्रोल किया जा सके.



कलेक्टर डॉ. जितेन्द्र सोनी की ओर से लिखे पत्र में कहा, '' ये काम जयपुर, जयपुर ग्रामीण और दूदू जिले की सीमा में आने वाले तमाम स्टेट हाईवे, नेशनल हाईवे मुख्य ग्रामीण सड़क, शहरों की मुख्य सड़कों पर किया जाए.''



दरअसल, शहर की सड़कों या हाईवे के बीच इस तरह कट या यूटर्न के पास कोई जगह स्पीड बेरियर या साइनेज नहीं होने और ट्रैफिक लाइट बंद होने के कारण वाहन चालक तेजी से निकलने का प्रयास करते हैं. कोहरे या अंधेरे में इस तरह से जल्दबाजी में निकलना मुख्य दुर्घटना का कारण बनता है.



जयपुर-अजमेर हाईवे पर घटना की सूचना मिलते ही करीब 15 घंटे तक मौके पद डटे रहे जयपुर जिला कलेक्टर डॉक्टर जितेन्द्र कुमार सोनी ने संबंधित एजेंसियों को अपने पत्र में कहा की कट या यूटर्न से 150 से 200 मीटर पहले अगर रंबल स्ट्रिप्स और उसकी पहचान के लिए कैट्स आई, नियोन साइनेज लगे हो तो वाहन चालक की स्पीड को कंट्रोल किया जा सकता है.



ताकि वह कट या यूटर्न तक पहुंचने से पहले गाड़ी की स्पीड धीमी हो जाती है और नियंत्रण में आ जाती है. कलेक्टर ने अपने पत्र में तमाम स्टेट और नेशनल हाईवे पर बने तमाम कट पर रोड सेफ्टी तकनीकी टीम से एक सर्वे करवाए.



जहां उसकी रिपोर्ट के आधार पर जरूरत के अनुसार क्लोवर लीफ, अंडरपास या फ्लाइओवर के निर्माण करवाने के संबंध में राय लें. इसके बाद इसे सक्षम स्तर से स्वीकृत करवाकर मौके पर इनका निर्माण करवाएं, ताकि भविष्य में दुर्घटनाओं को रोका या कम किया जा सके.



कलेक्टर ने अपने पत्र के आखिरी में हाईवे पर निश्चित दूरी पर एम्बुलेंस की सुविधा होने के भी निर्देश दिए, ताकि दुर्घटना के बाद तुरंत बाद जल्द से जल्द वहां पहुंचा जा सके और घायल को कम से कम समय में हॉस्पिटल पहुंचाया जा सके. इसके लिए उन्होंने एक इमरजेंसी मेडिकल प्लान भी हाईवे के लिए तैयार करने के निर्देश दिए.



बहरहाल, 20 दिसंबर को सुबह कुछ अधजले लोग खेतों की ओर दौड़ रहे थे. तब आग से रोशनी इतनी ज्यादा थी मानो दिन हो गया हो. सुबह के साढ़े पांच के अंधेरे को आज आग का प्रकाश निगल चुका था.



कुछ लोगों ने कहा कि जहां दुर्घटना हुई वह मौत का मोड़ है,रोजाना हादसे होते हैं. कई बार शिकायत की, लेकिन कोई नहीं सुनता. सड़क बनाने वाले ठेकेदार को जल्द काम करने पर वह कहता है, तसल्ली से हुआ काम अच्छा होता है, जल्दी किस बात की?