Jaipur: रजिस्ट्रार, सहकारिता मुक्तानंद अग्रवाल ने कहा कि स्वामी विवेकानंद ने हमेशा सर्वधर्म समभाव की ही बात की. भारत एक आध्यात्मिक देश है और यहां अध्यात्म की कई विचारधाराएं प्रवाहित हुई है. स्वामी विवेकानंद के गुरु रामकृष्ण परमहंस भारत के इतिहास के अनोखे व्यक्ति थे.


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रामकृष्ण मिशन परिसर में आजादी का अमृत महोत्सव
मुक्तानंद अग्रवाल ने रामकृष्ण मिशन परिसर में आजादी का अमृत महोत्सव और स्वामी विवेकानंद और रामकृष्ण मिशन की स्थापना के 125 वर्ष पूर्ण होने पर आयोजित यूथ कन्वेंशन एवं पुरस्कार वितरण कार्यक्रम को संबोधित किया.  उन्होंने कहा कि स्वामी विवेकानंद के कारण रामकृष्ण परमहंस के बारे में विश्व ने जाना.


विवेकानंद ने युवावस्था तक बहुत अध्ययन किया चाहे शास्त्र हो, चाहे दर्शन,अध्यात्म हो. साथ ही बताया कि उनमें प्रश्न पूछने की उत्कंठा थी वे एक जिज्ञासु और तार्किक व्यक्ति थे, वे सत्य को जानने के लिए तह तक गए. 


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स्वामी विवेकानंद का जीवन चरित्र अपने जीवन में उतारे


अग्रवाल ने कहा कि स्वामी विवेकानंद का जीवन शक्ति ही जीवन पर आधारित था. उन्होंने भय और निर्बलता का त्याग किया. उन्होंने निर्भयता से जीवन जिया और इसी निर्भयता से पूरे देश का भ्रमण किया. उन्होंने कहा कि स्वामी विवेकानंद जैसे साहस और शक्ति की आज देश को जरूरत है.


विवेकानंद का देश के प्रति समर्पण हम सभी के लिए सीखने के योग्य है. स्वामी विवेकानंद सन्यासी होते हुए सन्यास परंपरा से हट कर अपनी ऊर्जा को देश के लिए लगाया है. उन्होंने कहा कि धर्म दया है, पवित्रता है, साहस है इसके माध्यम से समाज और देश का उत्थान किया. उन्होंने आह्वान किया कि स्वामी विवेकानंद के जीवन चरित्र को अपने जीवन में उतारे.


Reporter : Anup Sharma 


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