जयपुरः बल्क मिल्क कूलर (BMC) को चालू करने की मांग को लेकर ग्रामीण और दुग्ध उत्पादक ने सोमवार को डेयरी मंत्री प्रमोद जैन भाया के सरकारी आवास का घेराव किया.  बड़ी संख्या में मंत्री भाया के सरकारी आवास पहुंचे ग्रामीणों में महिलाओं भी शामिल थी. प्रर्दशन के दौरान ग्रामीणों ने सरकारी अनुदान योजना के जरिए खरीदी गई बीएमसी चालू नहीं करने के पीछे डेयरी चैयरमेन का हाथ होने का आरोप लगाया है.  ताथ साथ ही जब तक बीएमसी चालू होने का  आदेश नहीं मिलेगा तब तक घेराव  जारी रहने की चेतावनी भी दी.


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क्यों किया आखिर घेराव
बता दें कि राज्य सरकार ने कृषि नीति योजना के गांवों की दुग्ध उत्पादक सोसायटियों में दूध ठंडा करने के लिए बल्क मिल्क कूलर खरीदने का प्रावधान किया गया है. इसके जरिए चार हजार बीएमसी में से 472 बीएमसी का चयन किया गया था. इन बीएमसी के लिए आठ लाख रुपए दिए गए थे, जिनमें से पचास प्रतिशत राशि दुग्ध उत्पादक समिति और 50 प्रतिशत अनुदान सरकार की ओर से दी गई थी. डेरी उत्पादकों का आरोप है कि  योजना के तहत करीब एक साल पहले 90 बीएमसी मशीनें खरीद ली गई थी, लेकिन उन्हें अब तक चालू नहीं किया गया है.  ऐसे में किसानों और दुग्ध उत्पादकों का पैसा भी लग गया और उन्हें इसका फायदा भी नहीं मिला. मशीनें चालू करने की मांग को लेकर समितियों के अध्यक्ष, सचिव और ग्रामीण अधिकारियों से लेकर डेयरी मंत्री प्रमोद जैन भाया तक से मिल चुके है लेकिन अभी तक बात जस की तस है.


मंत्री की वादखिलाफी पर गुस्साए ग्रामीण


प्रदर्शनकारियों का नेतृत्व करने  पहुंचे किसान नेता मोहन बधाला ने कहा कि इस मुद्दे को लेकर मई में  उन्होंने मंत्री प्रमोद जैन भाया से  मुलाकाक की थी.  तब भाया ने 15 दिन में मामले का समाधान करने का अश्वासन दिया था. साथ ही कहा था कि समाधान नहीं  हुआ तो  मेरे आवास पर आ जाना। इसी क्रम में आज सुबह बड़ी संख्या में ग्रामीणों और दुग्ध उत्पादक समितियों के पदाधिकारियों के साथ भाया से मिलने पहुंचे हैं. 


डेयरी चेयरमैन पर लगाए भ्रष्टाचार के आरोप 
वहीं ग्रामीणों ने डेयरी चेयरमेन ओमप्रकाश पूनिया पर भी भ्रष्टाचार के आरोप लगाए है. उनका कहना है कि पूनिया ने बीएमसी देने वाली कंपनी को मशीनें सप्लाई नहीं करने तथा सप्लाई कर दी तो चालू नहीं करने, निर्धारित मात्रा से कम दूध संकलन करने वाली समितियों में बीएमसी नहीं लगाने अन्य के आरोप लागए है.  वहीं दूसरी ओर समितियों के पदाधिकारियों का कहना है कि दूध संकलन की मात्रा के अनुसार ही उनकी सोसायटियों का बीएमसी के लिए चयन हुआ है. पूनिया ने कमीशन के खेल में ही बीएमसी को चालू नहीं करने की हठधर्मिता अपना रखी है. पूनिया पर पहले भी कमीशन लेकर बीएमसी की मंजूरी देने के आरोप लगाए गए हैं। उनका कहना है कि अब सरकारी अनुदान से मशीनें मिली है, ऐसे में कम्पनियां कमीशन नहीं दे पाई जिससे इन्हें चालू नहीं करने दिया जा रहा।


 नुकसान से हुए मजबूर दुग्ध उत्पादक


दुग्ध उत्पादकों और समितियों का कहना है कि बीएमसी लगवाने के लिए भवन बनवाया, मशीनों के लिए 50 प्रतिशत राशि दी. इस राशि पर हर महीने ब्याज भुगतना पड़ा रहा है. यदि बीएमसी चालू नहीं हुई तो ब्याज कैसे चुका पाएंगे. पहले लंपी से गायें मर गई, अब डेयरी चेयरमेन की हठधर्मिता उन्हें मार रही है. बीएमसी चालू होने पर ही दूध दिया जाएगा, दूध जाएगा तो ब्याज के पैसे चुका पाएंगे। अब घर जाकर क्या करेंगे, ऐसे में अब डेयरी मंत्री के आवास के बाहर अनिश्चितकालीन धरना ही रह गया है। एक समिति ने किसान को 50 लाख का लोन दिया और एक समिति दस लाख रुपए का ब्याज भर रही है.


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