Jaipur News: उपचुनाव में थर्ड जेंडर वोटर्स की कमी, सरकारी मशीन के आधे अधूरे प्रयास
राजस्थान में हो रहे उपचुनाव में एक चौंकाने वाला आंकड़ा सामने आया है. चुनाव आयोग के आंकड़ों के अनुसार, सात विधानसभा सीटों में केवल सात ट्रांसजेंडर मतदाता हैं. इसमें से चार क्षेत्रों में एक भी थर्ड जेंडर वोटर नहीं है, जबकि तीन में केवल सात थर्ड जेंडर वोटर हैं.
Jaipur News: राजस्थान में हो रहे उपचुनाव में एक चौंकाने वाला आंकड़ा सामने आया है. चुनाव आयोग के आंकड़ों के अनुसार, सात विधानसभा सीटों में केवल सात ट्रांसजेंडर मतदाता हैं. इसमें से चार क्षेत्रों में एक भी थर्ड जेंडर वोटर नहीं है, जबकि तीन में केवल सात थर्ड जेंडर वोटर हैं. यह आंकड़ा सरकारी मशीनरी के शत प्रतिशत मतदान के प्रयासों की कमी को दर्शाता है. निर्वाचन आयोग की जागरूकता अभियान थर्ड जेंडर तक नहीं पहुंच पा रही है.
चुनावा आयोग के 29 अक्टूबर तक की सूचना के अनुसार यह संख्या आई है.
झुंझुनूं विधानसभा क्षेत्र में 1 लाख 42 हजार 780 पुरुष वोटर, 1 लाख 31 हजार 913 महिला वोटर हैं, वहीं मात्र पांच वोटर ट्रांसजेंडर है.
रामगढ़ में एक लाख 45 हजार 40 पुरुष वोटर तथा 1 लाख 29 हजार 405 महिला वोटर हैं, लेकिन एक भी ट्रांसजेंडर वोटर नहीं है.दौसा में 1 लाख 29 हजार 434 पुरुष वोटर तथा 1 लाख 16 हजार 589 महिला वोटर हैं, लेकिन ट्रांसजेंडर वोटर की संख्या शून्य है.
देवली उनियारा में 1 लाख 55 हजार 958 पुरुष वोटर, 1 लाख 46 हजार 784 महिला वोटरों के बीच ट्रांसजेंडर वोटर मात्र एक है. खींवसर में 1 लाख 49 हजार 330 पुरुष तथा 1 लाख 36 हजार 894 महिला वोटर हैं, जबकि ट्रांसजेंडर वोटर एक भी नहीं है. सलूम्बर में 1 लाख 51 हजार 547 पुरुष वोट तथा 1 लाख 46 हजार 430 महिला वोट हैं, लेकिन ट्रांसजेंडर वोट एक भी नहीं है.चौरासी में 1 लाख 30 हजार 647 पुरुष तथा 1 लाख 24 हजार 727 महिला वोटर के साथ केवल एक ट्रांसजेंडर वोट डालेंगे.
सरकारी मशीन के आधे अधूरे प्रयास
उपचुनाव वाले सात विधानसभा क्षेत्रों में सैंकड़ों की तादाद में ट्रांसजेंडर रह रहे हैं, लेकिन वोट सीटों की संख्या के बराबर ही हैं. ऐसे में सहज अंदाजा लगाया जा सकता है कि जिला निर्वाचन कार्यालय की स्वीप टीम सभी ट्रासंजेंडर को मतदान के प्रति कितना जागरूक कर पाई है. टीम उन्हें अधिकारों के प्रति जागरूक नहीं कर पा रही है, यही कारण है कि ट्रांसजेंडर मतदाता सूची में नाम नहीं जुड़वा रहे हैं.
यह भी एक कारण हो सकता है कि दस्तावेज की कमी के कारण ट्रांसजेंडर मतदाता सूची में नाम जुड़वाने के लिए आगे नहीं आते. जागरूकता अभियान लगातार चलते रहें तो ट्रांसजेंडर की दस्तावेज संबंधी समस्याओं का समाधान कर मतदाता सूची में नाम जुड़वाया जा सकता है.
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