Jaipur News: गुलाबी सर्दी की आहट के साथ-साथ गुलाबी शहर में देशी-विदेशी पर्यटकों की आवाजाही होनेलगी हैं. और इसके साथ ही स्वच्छता-रोशनी से जुड़ा सबसे बड़ा त्यौहार दीपावली भी आ गया हैं. लेकिन फिर भी शहर के गली चौबारे गंदे दिखाई दे रहे हैं. 2 अक्टूबर को स्वच्छता दिवस के अवसर पर, नगर निगम के कमीश्नर से लेकर डीएलबी के निदेशक तक सड़कों पर झाडू लगा रहे थे. सांकेतिक झाडू के बाद अब जयपुर की स्वच्छता को लेकर इनका शायद कोई सरोकार नजर नहीं आता. 


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खुले डिपो पर आवारा पशु मंडराते नजर आ रहे
ताज्जुब की बात तो यह है कि जयपुर की विधानसभा के निकट खुले डिपो पर आवारा पशु मंडराते नजर आ रहे है. तो फिर शहर के बाकी इलाकों का तो खुद आप ही अंदाजा लगा सकते है. शहर के कई इलाकों में कचरे की ढ़ेर सगी हुई है. ग्रेटर नगर निगम के मुख्यालय के नजदीक लालकोठी, मालवीय नगर से लेकर महेश नगर, नंदपुरी, झोटवाड़ा, विद्याधर नगर, सांगानेर समेत कई क्षेत्रों में कचरा बिखरा अनायास नजर आ जाएगा. 


गंदगी से बीमारियां फैलने का डर
जिन लोगों के घरों के बाहर ही कचरे के डिपो है, उनके लिए तो सांस लेना भी मुश्किल हो रहा है, क्योंकि गंदगी के मारे चौबीस घंटे बदबू आती है. सुअर से लेकर आवारा पशु कचरा डिपो पर विचरण करते रहते हैं. नगर निगमों द्वारा कहा तो यह गया था कि ओपन डिपो खत्म कर दिए जाएंगे. लेकिन डोर-टू डोर कचरा संग्रहण ही ठीक तौर पर नहीं हो पा रहा है तो कचरा सड़कों पर फैलना तो लाजमी हैं. जयपुर में ग्रेटर और हैरिटेज दोनो नगर निगमों की सफाई व्यवस्था के कमोबेश इसी तरह के हाल हैं. गंदगी से बीमारियां फैलने का डर काफी बना हुआ हैं.


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जयपुर में 1700 टन कचरा निकला
आपको बता दें कि जयपुर से 1700 टन कचरा निकल रहा हैं. दीपावाली का त्यौहार नजदीक होने से इस समय कचरे की मात्रा तकरीबन दोगुनी पहुंच रही हैं, लेकिन निगम की गैराज शाखा के अतिरिक्त इंतजाम के दावे फेल होते जा रहे हैं. दूसरी तरफ निगम प्रशासन ने सफाई के मामले में सभी जोन उपायुक्त और गैराज शाखा को पांबद करने की बात कही हैं. रात्रि कालीन सफाई व्यवस्था करने और अतिरिक्त बंदोबस्त करने की बात कही जा रही हैं. निगम प्रशासन के लिए एक मजबूरी यह भी बढ गई है कि सड़कों की सफाई का जिम्मा संभालने वाले सफाई कर्मचारियों को बड़ी तादात में निर्वाचन की जिम्मेदारियों में लगा दिया गया हैं. इससे अब शहर साफ कैसे किया जाए. इसलिए देखना यही है इस चुनावी मौसम में प्रशासन की कुंभकर्णी नींद टूट पाती हैं या फिर नहीं.