Jaipur News: अतिरिक्त सत्र न्यायालय क्रम-9, महानगर द्वितीय ने वर्ष 2006 में राजस्थान क्रिकेट एसोसिएशन की बैठक में मारपीट और दुर्व्यवहार से जुड़े मामले में एसोसिएशन के तत्कालीन अध्यक्ष ललित मोदी को राहत देने से इनकार कर दिया है. इसके साथ ही अदालत ने आरोपी ललित मोदी की रिवीजन अर्जी भी खारिज कर दी है. अदालत ने कहा कि प्रकरण में निचली अदालत की ओर से दिए आदेश में कोई कानूनी त्रुटि नहीं है. इसलिए निचली अदालत के आदेश में हस्तक्षेप नहीं किया जा रहा है.


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परिवादी ने अखबार की कटिंग पेश किए 
ललित मोदी के रिवीजन अर्जी में कहा गया कि प्रकरण के परिवादी अनिल शेखावत ने अपने परिवाद में लगाए आरोपों को साबित करने के लिए कोई दस्तावेज पेश नहीं किए हैं. परिवादी की ओर से सिर्फ अखबार की कटिंग पेश किए गए है, जो कि साक्ष्य अधिनियम के तहत मान्य नहीं है. 


रिवीजन अर्जी को किया खारिज
इसका विरोध करते हुए परिवादी शेखावत के वकील एके जैन ने कहा कि आरोपी मोदी ने सीआरपीसी की धारा 258 व 255 के तहत साक्ष्य नहीं होने के कारण प्रकरण से डिस्चार्ज करने का आधार लिया है, जबकि निचली अदालत ने परिवाद पर परिवादी के बयान दर्ज कर आरोपी के खिलाफ प्रसंज्ञान लिया था. इसलिए रिवीजन अर्जी को खारिज किया जाए. दोनों पक्षों की बहस सुनने के बाद अदालत ने रिवीजन अर्जी को खारिज कर दिया. 


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निचली अदालत में प्रार्थना पत्र पेश किए
इसके साथ ही अनिल शेखावत ने निचली अदालत में परिवाद पेश कर आरसीए के तत्कालीन अध्यक्ष ललित मोदी पर आरोप लगाया था कि उन्होंने 19 नवंबर, 2006 को आरसीए मीटिंग के दौरान उससे मारपीट व दुर्व्यवहार किया गया. परिवाद पर बयान दर्ज करने के बाद अदालत ने ललित मोदी के खिलाफ आईपीसी की विभिन्न धाराओं में प्रसंज्ञान लिया था. इस पर ललित मोदी ने निचली अदालत में प्रार्थना पत्र पेश कर साक्ष्य के अभाव में कार्रवाई समाप्त करने की गुहार की थी. इस प्रार्थना पत्र को निचली अदालत ने 12 अक्टूबर, 2023 को खारिज कर दिया था. इस आदेश के खिलाफ एडीजे कोर्ट में रिवीजन अर्जी पेश की गई. जिसे भी अदालत ने खारिज कर दिया है.