Jaipur Excise Department News:आबकारी विभाग के लिए वित्त वर्ष 2024-25 के लिए अभी कठिन समय का दौर जारी है. एक तरफ विभाग को मदिरा दुकानों के नवीनीकरण में परेशानी हुई है और अब ऑक्शन भी कम हो पा रहा है, दूसरी तरफ बीयर और मदिरा बार के नवीनीकरण में भी लगभग यही स्थिति बनी हुई है. 


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प्रदेश में बीयर और मदिरा के एक हजार से अधिक बार हैं, लेकिन रोचक बात यह है कि 1 मार्च तक इनमें से मात्र 55 बारों का ही नवीनीकरण हो सका है. बार नवीनीकरण के कम रुझान के चलते जिलों के आबकारी अधिकारियों के लिए राजस्व पूर्ति को लेकर संकट खड़ा हो सकता है. ऐसे में जिलों के आबकारी अधिकारियों के लिए चिंता दोहरी हो गई है. 


 


दरअसल 29 फरवरी तक बार नवीनीकरण के लिए आवेदन आमंत्रित किए गए थे.ऐसे में 1 मार्च तक की स्थिति देखी जाए तो आबकारी विभाग को कुल 383 आवेदन ही मिले हैं. जबकि प्रदेश में बीयर और मदिरा बार की कुल संख्या एक हजार से अधिक है. ऐसे में करीब 60 फीसदी कम आवेदन मिलने पर आबकारी विभाग के अफसरों के लिए चिंता बढ़ गई है. 



हालांकि बार के नवीनीकरण के लिए अभी भी आवेदन किया जा सकता है. लेकिन जिस तरह मदिरा दुकानों में आबकारी विभाग को कम रिस्पॉन्स मिल रहा है, तो उस लिहाज से बार नवीनीकरण को लेकर भी संकट खड़ा हो गया है.




बार नवीनीकरण की क्या है स्थिति ?
- जयपुर शहर में बारों की संख्या है करीब 400


- इनमें से अब तक 75 बार संचालकों ने नवीनीकरण आवेदन किया
- अभी तक एक भी बार को नहीं मिल सकी है अनुमति


- सभी बार के लिए डीईओ स्तर पर मंजूरी बाकी
- बीकानेर में बार नवीनीकरण के 21 आवेदन, सभी लंबित


- सवाईमाधोपुर में नवीनीकरण के 21 आवेदन, सभी लंबित
- श्रीगंगानगर में बार नवीनीकरण के सभी 22 आवेदन लंबित


- सिरोही में नवीनीकरण के 20 में से 19 आवेदन लंबित
- उदयपुर में 60 आवेदन मिले, केवल 18 को दी गई मंजूरी


- भरतपुर की परफॉर्मेंस अच्छी, 16 में से 14 को मंजूरी



बार के लाइसेंस के आवेदकों के लिए सबसे बड़ी परेशानी यह है कि सबसे ज्यादा आवेदन जिला आबकारी अधिकारियों के स्तर पर लंबित हैं. जयपुर शहर में जिन 75 बार संचालकों ने नवीनीकरण के लिए आवेदन किया है, उनमें से एक भी आवेदन को अप्रूव नहीं किया गया है. 




सभी आवेदन जिला आबकारी अधिकारी के स्तर पर लंबित हैं. हालांकि जयपुर शहर में पुराने डीईओ का तबादला होने और नई डीईओ देविका तोमर के नियुक्ति संभालने के चलते देरी मानी जा सकती है. लेकिन कमोबेश यही स्थिति अन्य जिलों में भी है. देखना होगा कि आबकारी विभाग क्या बार नवीनीकरण के जरिए मिलने वाले राजस्व के लक्ष्य को प्राप्त कर सकेगा.


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