Rajasthan high Court: रविवार को राजस्थान हाईकोर्ट  में जस्टिस बीरेन्द्र कुमार की एकलपीठ  अजीबो - गरीब याचिका पर अपना फैसला सुनाया.  हाईकोर्ट  में एक आपराधिक मामले में  जज बीरेन्द्र कुमार ने कहा है कि, शादी के बाद किसी दूसरे से संबंध बनाना अपराध की श्रेणी में नहीं आता है.


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बता दें कि, जस्टिस बीरेन्द्र कुमार की एकलपीठ ने यह आदेश   2021 में भरतपुर में  एक पति की याचिका पर सुनाया गया है. पति ने कोर्ट में  2021 में भरतपुर थाने में दर्ज कराई FIR के कारण सुनाया है. पति की दायर याचिका पर आरोपी ने विरोध जताया था,  उस समय वह अपना पक्ष नहीं रख सका था, क्योंकि वह किसी मामले में जेल में बंद था, 


याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने 24 मई, 2022 को आदेश देते हुए एफआईआर रद्द कर दी थी। प्रकरण में उसे बिना सुने आदेश दिया गया है. वहीं पत्नी ने  भी अदालत में हाजिर होकर पति के विरुध बोलते हुए  कहा कि वह अपनी मर्जी से घर छोड़कर गई थी. वह अपने प्रेमी के साथ रिलेशनशिप में है. सभी पक्षों को सुनने के बाद अदालत ने पति की ओर से दायर प्रार्थना पत्र को खारिज कर दिया है.


याचिका को रद्द करते हुए अदालत ने कहा कि यह सच है कि भारतीय समाज में शारीरिक संबंध विवाहित जोड़े के बीच ही होने चाहिए, लेकिन जब वयस्क स्वेच्छा से वैवाहिक संबंधों के बाहर संबंधों में शामिल होते हैं तो यह अपराध की श्रेणी में नहीं आता है.


वयस्क युवक-युवती शादी के बाद किसी अन्य के साथ लिव इन में रहते हैं तो यह आईपीसी की धारा 494 के तहत अपराध की श्रेणी में नहीं आता है, क्योंकि दोनों में से किसी ने भी अपने पति या पत्नी के जीवित रहते दूसरी शादी नहीं की है।