ABVP 68th National Convention In Jaipur: अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद का 68वां राष्ट्रीय अधिवेशन 25 नवंबर से 27 नवंबर तक आयोजित होने जा रहा है, अधिवेशन का आगाज 25 नवंबर को योग गुरू बाबा रामदेव करेंगे, तो वहीं तीन दिनों तक विभिन्न कार्यक्रम और परिचर्चाओं का आयोजन किया जाएगा. इसके साथ ही 26 नवंबर को शोभायात्रा और 27 नवंबर को पुरस्कार समारोह का आयोजन किया जाएगा. लेकिन 25 नवंबर से अधिवेशन के उद्घाटन से पहले आज से प्रदर्शनी का आयोजन किया जाएगा. सीतापुरा स्थित जेईसीआरसी परिसर में कार्यक्रम स्थल को महाराणा प्रताप नगर नाम दिया गया है, तो वहीं लघु भारत दर्शन के साथ ही राजस्थान के गौरवशाली इतिहास को इस प्रदर्शनी के माध्यम से दिखाया जाएगा.


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अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के 68वें राष्ट्रीय अधिवेशन में राजस्थान के गौरवशाली इतिहास की झलक देखने को मिलेगी. अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद का 68 वां राष्ट्रीय अधिवेशन सीतापुरा जयपुर जेईसीआरसी विश्वविद्यालय के महाराणा प्रताप नगर में 25 से 27 नवंबर को आयोजित होने जा रहा है, प्रदर्शनी स्थल जनजातीय देवता एवं महान स्वतंत्रता सेनानी गुरू गोविंद के नाम से रहेगा. जहां राजस्थानी संस्कृति की झलक मुख्य आकर्षण का केंद्र रहेगी.


प्रदर्शनी स्थल को डांट, बोरी, पट्टी पर मिट्टी का लेप करके झोपड़ी की तरह बनाया गया है. इसमें कठपुतली नृत्य आकर्षण का केंद्र रहेगा, कार्यक्रम स्थल पर अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के वर्ष पर्यन्त कार्यों का ब्यौरे को दर्शाया जाएगा. इसी के साथ राजस्थान के स्वतंत्रता सेनानी हुतात्मा प्रदर्शनी की मुख्य थीम रहेगी. प्रदर्शनी का उद्देश्य युवा शक्ति में जोश ऊर्जा संचार करने के साथ राष्ट्र प्रेम का जनसंचार करने के साथ युवा पीढ़ी को राष्ट्र के प्रति समर्पण का भाव लाना है. प्रवेश द्वार पर जयपुर के आराध्य देव गोविंद देव जी महाराज की प्रतिमा रहेगी.


अधिवेशन स्थल पर कुल 11 महापुरुषों की प्रतिमाएं युवाओं में जोश का संचार करेंगी. कार्यक्रम स्थल पर किसी भी प्रकार के प्लास्टिक उत्पाद या प्लास्टिक का प्रयोग नहीं किया जाएगा. गुरु गोविंद भारत में एक सामाजिक और धार्मिक सुधार हुए हैं, जनजाति क्षेत्र में इनका अभूतपूर्व योगदान रहा है. अंग्रेजों के विरुद्ध गुरु गोविंद ने जन जागरण अभियान चलाया.


17 नवंबर 1913 को मानगढ़ की पहाड़ी पर वार्षिक मेला भरता है गुरु गोविंद ने अंग्रेजी शासन के खिलाफ अंग्रेजों को आगाह किया एवं खेती कर हटाने आदिवासी परंपरा का पालन करने के लिए पत्र लिखा. तत्कालीन शासक कर्नल शटन ने मानगढ़ की पहाड़ी पर तोप लगाकर गोलीबारी की गई.


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