Jaipur latest News: राजस्थान में अरबों-खरबों की कीमत वाली जमीनों के मालिकाना हक, बंटवारा, हक-हिस्सा, सीमा ज्ञान सहित अन्य विवादों की सुनवाई करने वाले राजस्थान रेवेन्यू बोर्ड और दूसरी राजस्व अदालतों में 6 लाख 59 हजार 447 मुकदमें हैं. भूमि विवाद की राज्य की सबसे बड़ी अदालत राजस्व मंडल तथा अधीनस्थ 1700 राजस्व अदालतों में पक्षकारों को समय पर न्याय के बजाय तारीख पर तारीख दी जा रही है.


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सरकारी तंत्र की व्यस्तता के चलते तहसील से लेकर राजस्व मंडल में भूमि से जुड़े मामलों का अंबार है. रेवेन्यू बोर्ड व दूसरी राजस्व अदालतों में 6 लाख 59 हजार 447 वाद लंबित हैं. चुनौती है कि न्याय की तलाश में लोगों की तारीखों का इंतजार कैसे खत्म करें. एक तरफ फोकस प्रकरणों के निस्तारण कर पेंडेंसी कम करने को लेकर हैं. 


 



वहीं तमाम दावों के बावजूद वादों का निस्तारण रफ्तार नहीं पकड़ पा रहा है. भूमि विवाद की राज्य की सबसे बड़ी अदालत राजस्व मंडल तथा अधीनस्थ 1700 राजस्व अदालतों में पक्षकारों को समय पर न्याय के बजाय तारीख पर तारीख दी जा रही है. मुकदमों के तेजी से निपटारे के लिए राजस्व विभाग तथा राजस्व मंडल के निर्देशों और दावों का असर नजर नहीं आ रहा है. 


 



राज्य में राजस्व मुकदमों की पेंडेंसी का ग्राफ घटने के बजाय बढ़ रहा है. राज्य में 6 लाख 59 हजार 447 मुकदमें अदालतों में तारीखों में चल रहे हैं. जितने मुकदमें दर्ज हो रहे हैं, उसके मुकाबले निस्तारण की गति धीमी है. सिर्फ एसडीओ कोर्ट में ही पेंडेंसी 4.23 लाख है. यानी की ये मुकदमें न्याय की पहली सीढ़ी ही नहीं चढ़ सके. राजस्व मंडल में पेंडेंसी 69 हजार के करीब पहुंच गई है. 


 



जोधपुर जिले का एक मुकदमा तो राजस्व मंडल में 50 साल से तारीखों में ही चल रहा है. दादा द्वारा पेश किया मुकदमा उनके पोते लड़ रहे हैं. अब तक करीब 350 तारीखें इस अकेले मुकदमें ही दी जा चुकी हैं लेकिन इसका फैसला नहीं हो सका. लार्जर बेंच के भी कई मुकदमें वर्षों से तारीखों में ही चल रहे हैं. उपखंड अधिकारी कोर्ट में 4 लाख 23 हजार 667 मुकदमों पेंडिंग हैं. 


 



राज्य में सर्वाधिक पेंडेंसी उपखंड अधिकारी अदालतों में ही है. इसके बाद राजस्व मंडल में सर्वाधिक पेंडेंसी है. राज्य में राजस्व विवादों के त्वरित निपटारे के लिए सरकार ने सहायक कलेक्टर (फास्ट ट्रेक) अदालतें खोलीं लेकिन यह अदालतें ट्रैक पर नहीं हैं. यहां मुकदमों के निपटारे की गति सामान्य अदालतों से भी कम है. अधिकतर में अधिकारी की पोस्टिंग नहीं हुई है. इन 33 हजार 378 मुकदमे पेंडिंग चल रहे हैं. 


 



रेवन्यू बोर्ड में करीब 69 हजार, संभागीय आयुक्त 8963, अतिरिक्त संभागीय आयुक्त 5895, राजस्व अपील अधिकारी 23 हजार 506, भू-प्रबंध अधिकारी पदेन राजस्व अपील अधिकारी 11 हजार 431, जिला कलेक्टर 14 हजार 55, अतिरिक्त जिला कलेक्टर 21 हजार 634, उपखंड अधिकारी 4 लाख 23 हजार 667, सहायक कलेक्टर 33 हजार 378, सहायक कलेक्टर 33 हजार 377, तहसीलदार 7768, नायब तहसीलदार 5022, उपनिवेशन 19078 मुकदमे पेंडिंग है.


 



राज्य में 1 जनवरी 1950 से 31 अगस्त 2024 तक राजस्व मंडल सहित राजस्व अदालतों में 17 लाख 44 हजार 751 मुकदमे दर्ज हुए. जबकि निपटारा 10 लाख 85 हजार 265 का ही हुआ. राजस्व मंडल में 74 साल में अब तक 1 लाख 89 हजार 671 मुकदमे दर्ज हुए. जबकि 1 लाख 20 हजार 824 का निपटारा हुआ. इसी तरह संभागीय आयुक्त कार्ट में 23 हजार 350 दर्ज हुए 14 हजार 312 मुकदमें निपटे. 


 



अतिरिक्त संभागीय आयुक्त कोर्ट में 15 हजार 361 दर्ज हुए 9 हजार 500 निपटे, राजस्व अपील अधिकारी (आएए कोर्ट) में 56 हजार 347 दर्ज हुए 32हजार 775 निपटे, भूप्रबंध अधिकारी पदेन राजस्व अपील अधिकारी कोर्ट में 30 हजार 152 दर्ज हुए 18 हजार 746 निपटे, जिला कलेक्ट्रेट कोर्ट में 85 हजार 769 मुकदमे दर्ज हुए 71 हजार 776 मुकदमें निपटे.



एडीएम कोर्ट में 92हजार 830 दर्ज हुए 71 हजार 276 निपटे, उपखंड अधिकारी कोर्ट में 10 लाख 51 हजार 455 मुकदमे दर्ज हुए 6 लाख 27 हजार 544 निपटे, सहायक कलेक्टर कोर्ट में 85 हजार 223 मामले दर्ज हुए 51 हजार 811 निपटे, सहायक कलेक्टर फास्ट ट्रैक कोर्ट में 73 हजार 370 मामले दर्ज हुए 40 हजार 247 निपटे, तहसीलदार कोर्ट में 27 हजार 779 मुकदमे दर्ज हुए 19 हजार 988 मुकदमे निपटे, नायब तहसीलदार कोर्ट में 11 हजार 71 मुकदमे दर्ज हुए जबकि 5 हजार 996 का निपटारा हुआ.


 



राजस्व मंत्री हेमंत मीना का कहना हैं की प्रदेश में राजस्व न्यायालयों में फैसला कैसे हो, आधे से ज्यादा प्रकरणों में पक्षकारों तक नोटिस नहीं पहुंचे हैं और करीब एक तिहाई केस दस साल से रिकॉर्ड नहीं आने के कारण अटके हुए हैं. कुल प्रकरणों में से 56 प्रतिशत ऐसे हैं, जिनमें नोटिस तामील नहीं हुए हैं. स्थिति में सुधार लाने के लिए राजस्व विभाग काम कर रहा है. बहुत सारे केस तो 15-20 साल से चल रहे हैं. 


 



इसके लिए जल्द ही ई तामील प्रक्रिया शुरू कर रहे हैं, लोगों को जल्द से जल्द न्याय मिले और केसों का निपटारा हो उसे पर काम कर रहे हैं. गौरतलब है कि साल के 365 दिन में से 187-190 दिन ही मुकदमों की सुनवाई हो रही है. साप्ताहिक अवकाश, राजकीय अवकाश, त्योहार, जयंती, पर्व, कार्य बहिष्कार, शोकसभा आदि के कारण 175-178 दिन सुनवाई नहीं होती. 


 



राजस्व मंडल में सदस्यों के 20 पद हैं इनमें से कुछ रिक्त चल रहे हैं. धीनस्थ राजस्व अदालतों के पीठासीन अधिकारियों का प्रशासनिक कार्यों में अधिक समय देना. कोर्ट केसों की सुनवाई के कम समय देना इसके प्रमुख कारण हैं. समय पर रिकॉर्ड अपील में कोर्ट में नहीं आना, नोटिसों की तामीली नहीं होना, निचली कोर्ट में रिकॉर्ड नहीं पहुंचा प्रभावी मॉनिटरिंग नहीं होना आदि प्रमुख कारण हैं. 


 



बहरहाल जमीन का झगड़ा अदालतों के लिए सबसे बड़ा बोझ है. यह भी सही है कि जमीन के मामलों का निपटारा होने में लंबा समय लगता है, यहां तक की अदालतों की तारीख दर तारीख चक्कर काटते हुए पीढ़ियां गुजर जाती है. राजस्व मुकदमे एक बार न्यायालय में दाखिल हो जाते हैं, तो फिर इस तरह के मकड़जाल में उलझ जाते हैं कि उससे निकलना मुश्किल हो जाता है. 


 



एक न्यायालय से जैसे-तैसे फैसला हो भी जाता है तो उससे उच्च अदालत में अपील हो जाती है और इस तरह से यह प्रक्रिया अनवरत चलती जाती है. कई मामलों में तो यहां तक देखा गया है कि अंतिम फैसले के इंतजार में पीढ़ियां गुजर जाती हैं.