राजेंद्र गुढ़ा की एक लाइन से विधानसभा में हो गया हंगामा, मुश्किल में फंसे मंत्री शांति धारीवाल
jaipur: मंगलवार को राजस्थान सरकार अपने ही मंत्री के बयान से विधानसभा में घिरती नजर आई. दरअसल विधानसभा में गृह और जेल विभाग की अनुदान मांगों पर बहस के बाद संसदीय कार्य मंत्री शांति धारीवाल अपना जवाब दे रहे थे.
jaipur: राजस्थान विधानसभा में मंगलवार को काफी गहमागहमी दिखी. राजेंद्र गुढ़ा और शांति धारीवाल ने ऐसा क्या कहा कि हंगामा हो गया. उन्होंने प्रदेश में फ्री एफआईआर का जिक्र किया, तो इस प्रक्रिया में झूठे मुकदमे बढ़ने का बयान भी दिया. धारीवाल ने कहा कि झूठे मुकदमे कराने वालों पर सरकार ने कार्रवाई के निर्देश भी दे रखे हैं. इस पर मंत्री राजेंद्र गुढ़ा भी सदन में ही बोल गए कि एक झूठा मुकदमा तो उन पर भी दर्ज हुआ है.
सरकार की मंत्री परिषद के सदस्य के विधानसभा के भीतर आए इस बयान के बाद विपक्ष को सरकार पर घेरा डालने के लिए बड़ा मौका मिल गया. प्रतिपक्ष के उपनेता राजेंद्र राठौड़ ने भी इस मौके को हाथ से नहीं जाने दिया और तत्काल ही कलेक्टिव रिस्पांसिबिलिटी का मुद्दा उठा दिया.
राजेंद्र राठौड़ के खड़े होते ही विपक्ष के बाकी विधायक भी इशारों-इशारों में बात समझ गए. हंगामा धीरे-धीरे बढ़ता गया और बीजेपी के विधायक वेल में आकर नारेबाजी करने लगे. इन लोगों ने मंत्री राजेंद्र गुढ़ा को न्याय की मांग के नारे लगाए तो झूठे मुकदमे दर्ज करने की प्रक्रिया बंद करने की मांग भी रखी.
मंत्री के इस बयान के बाद विपक्ष के विधायक सदन के वेल में आ गए. बीजेपी के विधायकों ने वेल में आकर नारेबाजी की. हालांकि सभापति राजेंद्र पारीक ने हाउस को ऑर्डर में लाने की कोशिश की. लेकिन बीजेपी के विधायक नहीं माने.
इस पर सभापति राजेंद्र पारीक ने हंगामे के बीच ही मंत्री शांति धारीवाल को अनुदान की मांगें पारित कराने को कहा. मंत्री महेश जोशी भी धारीवाल के पास पहुंच गए और उन्होंने भी जल्द मांगें पारित कराने का सुझाव दिया.
इस बीच अपने चेंबर में विधानसभा की कार्रवाई देख रहे स्पीकर सीपी जोशी ने हंगामा होते देखा तो वह भी हाउस में आ गए. स्पीकर ने सदन में आते ही विपक्ष के सदस्यों से अपनी-अपनी सीट पर बैठने को कहा. हल्की बहस के बाद विपक्षी विधायक अपनी-अपनी सीट पर भी चले गए.
ऐसे में विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी ने कहा कि सदन सभी सदस्यों का है. सदस्य को अपनी बात कहने का अधिकार है. स्पीकर ने कहा कि सरकार के संज्ञान में मामला आ गया है और मंत्री जवाब दे रहे हैं तो सरकार इस विषय को भी एड्रेस कर देगी.
स्पीकर के कहने के बाद विधानसभा सुचारू हो सकी. उधर मंत्री शांति धारीवाल ने राजेंद्र गुढ़ा की तरफ से उठाए मुद्दे का जवाब देते हुए कहा कि प्रदेश में फ्री एफआईआर के कारण मुकदमा तो किसी भी मामले में दर्ज हो सकता है, लेकिन अगर कोई जांच में निर्दोष है तो उसे क्लीनचिट भी मिल जाएगी.
मंत्री शांति धारीवाल ने राजेंद्र गुढ़ा की तरफ से उठाए गए विषय का जवाब भी दे दिया और स्पीकर की तरफ से सदन सुचारू कराने के बाद मंत्री ने गृह विभाग की अनुदान मांगे भी पारित करा दी. लेकिन विपक्ष की तरफ से उठाया गया सवाल अपने आप में अभी भी जवाब मांग रहा है। क्या सरकार के मंत्री की तरफ से अपनी ही सरकार की प्रक्रिया पर सवाल उठाते हुए बयान देना सही माना जा सकता है?
और अगर राजेंद्र गुढ़ा अपनी जगह सही हैं तो फिर उन पर दर्ज हुए मुकदमे का निस्तारण क्या समयबद्ध प्रक्रिया से होगा? ऐसे में सवाल यह भी कि एक मंत्री के खिलाफ झूठा मुकदमा दर्ज होता है और वह विचलित हो सकता है तो फिर सामान्य आदमी क्या करे और अपनी गुहार कहां लगाए?
ये भी पढ़ें- REET fake paper leak: रीट फर्जी पेपर लीक मामले में हर दिन हो रहे नए खुलासे, दलालों के जाल में फंस चुके थे 30 अभ्यर्थी