Jaipur Govinddevji Temple holi: आराध्य गोविंद देवजी के दरबार में रंगों के पर्व होली पर कोलकाता, ब्रज और शेखावाटी की लोककलाओं के जमकर रंग बरसे.कलाकारों ने समां ऐसा बंधा कि भक्तों का दिल ही जीत लिया.कोलकाता के मालीराम शास्त्री के निर्देशन में कलाकारों ने फाल्गुनी गीतों की सुंदर प्रस्तुतियां दीं. मालीराम शास्त्री ने प्रारंभ में गोविंद मेरो है गोपाल मेरो है, श्री राधा रमण नंदलाल मेरो है. संकीर्तन करवाया. इसके बाद नंदलाल थांसे फाग रमण न आई म्हारा श्याम. रंग रसिया ओ म्हारा रंग रसिया आज थारे सागे होली खेलण आई सांवरा रंग रसिया गीत पर राधा-कृष्ण स्वरूपों में कलाकारों ने आंगिक अभिनय से जीवंत कर दिया. 


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शेखावाटी के कलाकारों ने होली की धमाल प्रस्तुत की. रंग मत डारे रे सांवरिया म्हाने गुर्जर मारे रे. राधा गोविंद के दरबार मची रे होली रे. जैसी धमाल सुनाकर पूरे माहौल को शेखावाटी की होली से सराबोर कर दिया.इस दौरान फूलों की होली और पुष्प वर्षा भी हुई. इससे पूर्व म्हारा प्यारा गजानंद आईज्यो जी. गीत सुनाया, मयूर नृत्य किया.


 श्रद्धालुओं ने  उठाया भरपूर आनंद 
इसके साथ ही आराध्य देव गोविंददेवजी मंदिर के सत्संग भवन में मनाए जा रहे फागोत्सव में भजन और नृत्य की जुगलबंदी का श्रद्धालुओं ने भरपूर आनंद उठाया.कृष्ण-राधा और गोपी-ग्वालों के स्वरूप बने कलाकारों ने भजनों की पंक्तियों के अनुरूप अभिनय की छाप छोड़ी.फागोत्सव में प्रतिदिन गायन-वादन और नृत्य की त्रिवेणी दोपहर से शाम तक लगातार छाई रही. कई प्रसिद्ध कलाकारों ने भी ठाकुर जी के दरबार में हाजिरी लगाई. 


वहीं, म्हारा गोविंद रसिया छैला म्हे तो थां सं ही होली खेलां.फागण का महीना मं क्यूं लुखतो डोले रे. रचना सुनाकर कान्हा के फाग खेलने से घबराने के भावों को अभिव्यक्ति दी.मृगनैनी को यार नवल रसिया.गीत सुनाकर वाहवाही बटोरी.होली कैसे खेलूं मनमोहन के साथ. भजन सुनाकर राधाजी की शंका के मनोभावों को साकार किया तो इसके विपरीत रंग डारुंगी नंद के लालन पे . गाकर सखियों की जिद का खाका खींच दिया. होली खेल मना रे फागुन के दिन चार.फाल्गुनी रचना सुनाकर लोगों के मन में हिलोर पैदा की.ब्रज क्षेत्र का रसिया की मनोरम प्रस्तुति भी दी.


फाल्गुनी भजनों के बोल को कलाकारों ने नृत्य कर जीवंत कर दिया.कलाकारों ने शेखावाटी अंचल की धमाल की गाई तो लगा कि आज ही होली है. भवई नृत्य प्रस्तुत कर भक्ति और शारीरिक संतुलन का नजारा प्रस्तुत किया.मानो मानो गिरिधारी चालो खेलन होरी. मोहन बालोदिया ने ल्याओ रंग गुलाल गोविन्द सें खेलो होली.फाल्गुनी गीत सुनाकर मन प्रफुल्लित कर दिया.


बहरहाल, गुलाबी नगरी के जन-जन के आराध्य गोविन्द देवजी मंदिर में मुख्य रूप से दो बड़े आयोजन होते हैं, जिनमें जन्माष्टमी और फागोत्सव मुख्य है.इस दौरान मंदिर को आकर्षक रूप से सजाया जाता है.साथ ही भगवान गोविन्द की मनोहारी झांकी के दर्शन करने यहां दूर-दूर से श्रद्धालु आते हैं.होली के नजदीक आने के साथ इन दिनों शहर के मंदिरों और गली-गली में फाग के रंग बिखर रहे हैं.मंदिरों में विशेष आयोजन हो रहे हैं, वहीं शहर में गलियों और कॉलोनियों में महिलाएं एकजुट होकर फागोत्सव का आयोजन कर रही है.