Rajasthan News: मानसून पूर्व तैयारियों को देखते हुए पशुपालन विभाग ने सभी फील्ड अधिकारियों को निर्देश जारी किए हैं कि बीमारियों से बचाव के लिए पशुओं में टीकाकरण किया जाए. इसके लिए विभाग ने अलग-अलग बीमारियों की आशंका को देखते हुए टीके लगाने शुरू कर दिए हैं. बरसात के सीजन के दौरान पशुओं में 3 से 4 तरह की बीमारियां होने का खतरा रहता है. 


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फील्ड में कार्मिकों तक पहुंचाए गए टीके
गाय-भैंसों में सामान्यतः गलघोंटू यानी हैमरेजिक सैप्टिसीमिया और ब्लैक क्वार्टर यानी काला बुखार आने की आशंका अधिक रहती है. इन दोनों रोगों का सही उपचार नहीं होने पर पशुधन की मौत भी हो सकती है. इसे देखते हुए विभाग द्वारा पशुधन के बचाव के लिए पहले से ही टीकाकरण किया जा रहा है. बीपी लैब टीका उत्पादन इकाई के जरिए टीकों का प्रोक्योरमेंट करके जिला कार्यालयों में भिजवाया गया है. वहीं भेड़-बकरियों जैसे पशुओं में अलग तरह की बीमारियों की आशंका रहती है. एंट्रो टॉक्सीमिया यानी फड़किया, शीप पॉक्स यानी भेड़ माता की आशंका को देखते हुए इन पशुओं में भी टीकाकरण शुरू कर दिया गया है.


लम्पी स्किन डिजीज के 1 करोड़ अधिक लगेंगे टीके 
2 वर्ष पूर्व गोवंश के लिए काल साबित हुई लम्पी स्किन डिजीज को लेकर पशुपालन विभाग सबसे ज्यादा सतर्कता बरत रहा है. पशुपालन विभाग ने प्रदेशभर में गोवंश में टीकाकरण शुरू कर दिया है. 1 करोड़ से अधिक गोवंश को लम्पी स्किन डिजीज के टीके लगाए जा रहे हैं. हालांकि, पिछले साल लम्पी स्किन डिजीज के केस सामने नहीं आए थे, लेकिन सतर्कता वश पशुपालन विभाग पशुओं में यह टीके लगा रहा है. गलघोंटू बीमारी को लेकर सबसे ज्यादा टीके पूर्वी राजस्थान के जिलों अलवर, भरतपुर और जयपुर में लगाए जा रहे हैं, जहां प्रत्येक जिले में 3 लाख से अधिक टीके लगाए जा रहे हैं. वहीं लम्पी स्किन डिजीज के सर्वाधिक टीके पश्चिमी राजस्थान के बाड़मेर, बीकानेर, गंगानगर, जोधपुर आदि जिलों में लगाए जा रहे हैं. कुल मिलाकर पशुपालन विभाग की यह तैयारी है कि मानसून के दौरान किसी तरह की पशुओं से जुड़ी बीमारी का प्रसार नहीं हो सके.


रिपोर्टर- काशीराम चौधरी


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