Jaipur news: राजधानी जयपुर के चौमूं शहर में नगर पालिका ने सौंदर्यकरण के नाम पर लाखों रुपयों का खेल कर दिया. नगर पालिका प्रशासन ने शहर के सड़क के बीचो लगे विद्युत पोल पर तिरंगा लाइट लगाने को लेकर टेंडर प्रक्रिया शुरू की 3 फर्मो को इस टेंडर प्रक्रिया में शामिल होने की अनुमति देकर टेंडर एक फार्म को जारी कर दिया गया. इस फर्म को टेंडर देकर 62 लाख रुपए की लागत से तिरंगा लाइट शहर के बिजली पोलो पर लगवा ली गई, और 62 लाख की लाइट 62 दिन भी नहीं चल पाई.


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

 3 दिन में खराब हो गई. इस पूरे घोटाले को लेकर नगर पालिका के पूर्व नेता प्रतिपक्ष शैलेंद्र चौधरी ने डीएलपी डायरेक्टर को शिकायत भेजी है. जबकि नगर पालिका में कांग्रेस का ही इतना ही नही अब तो भ्रष्टाचार की लाइट बुझने पर नगर पालिका के पूर्व चेयरमैन आशीष दुसाद ने भी मोर्चा खोल दिया है. पूर्व चेयरमैन आशीष दुसाद के नेतृत्व में बीजेपी कार्यकर्ताओं ने एसडीएम राजेश जाखड़ को इस पूरे भ्रष्टाचार खेल में कार्रवाई की मांग को लेकर ज्ञापन दिया गया है. नगर पालिका के अधिशासी अधिकारी जितेंद्र मीणा पर भाजपा ने भ्रष्टाचार करने के आरोप लगाए हैं. 


यह भी पढ़ें- खाचरियावास बोले- कर्नाटक हारने के बाद मोदी ने बजरंगबली का नाम लेना किया बंद, राहुल के हाथ आ गई संजीवनी


उन्होंने कहा कि चेयरमैन से सांठगांठ कर सरकार को अधिशासी अधिकारी ने लाखों रुपए का चूना लगाया है. एक तरफ बिजली विभाग नगरपालिका पर रोड लाइटों के बिल के पेट 30 करोड़ के बकाया चल रहे है. दूसरी तरफ अनावश्यक रूप से इस तरह की लाइट लगाकर नगरपालिका पर अनावश्यक आर्थिक बाहर बढ़ाया जा रहा है. 


इस पूरे घोटाले का खेल तब उजागर होता है जब पूर्व चेयरमैन ने 18 मीटर तिरंगा लाइट GST बिल के साथ चौमूं की दुकान से 1530 रुपये में खरीद की तब जाकर पूरा माजरा समझ मे आ गया. जानकारी के मुताबिक शहर में बराला अस्पताल से लेकर नगरपालिका तक तकरीबन 220 पोल पर तिरंगा लाइट लगाई गई है. इसका टेंडर 62 लाख रुपये में दिया गया है. नगर पालिका अब यह भुगतान करने के लिए भी तैयारी कर रहा है.


 कैसे हुआ भ्रष्टाचार...
एक पोल - 30 मीटर लम्बी लाइट


एक मीटर लाइट की कीमत-85 रुपये
एक पोल पर 2550 रुपये खर्चा


एक पोल पर 450 लेबर खर्च
एक पोल-3000 रुपये में तैयार


शहर में कुल 220 पोल पर लगी लाइट


220* 3000= 6 लाख 60 हजार का खुल खर्च


55 लाख 40 हजार रुपये का घोटाला


कुल मिलाकर नगर पालिका ने टेंडर प्रक्रिया में अनावश्यक शर्तों को शामिल कर केवल 3 फलों को ही टेंडर में शामिल करने की अनुमति दी तीनों फर्मों ने आपस में पुल करके बाजार मूल्य से कई गुणा अधिक दामों पर टेंडर ले लिया. इस पूरे मामले को लेकर सत्ता पक्ष के पार्षद प्रतिनिधि ही सवाल उठा रहे हैं तो बीजेपी कहा कम रहने वाली है. बीजेपी तो अब आंदोलन की चेतावनी भी दे दी है. 


इस पूरे मामले में नगर पालिका के अधिशासी अधिकारी जितेंद्र मीणा से भी हमने सफाई जानने की कोशिश की लेकिन ना तो वे दफ्तर में मिले और ना ही फोन उठाया. भ्रष्टाचार करने वालों के खिलाफ गहलोत सरकार लगातार कार्रवाई कर ही है. इस मामले में भी सरकार को दखलअंदाजी करके कार्रवाई करनी चाहिए ताकि जो अधिकारी सरकार को चूना लगा रहे हैं उन पर अंकुश लगे.