Jaipur News: कोटपूतली रोडवेज डिपो में इन दिनों कई आरोप प्रत्यारोप लगाये जा रहे है, जिसको लेकर मीडिया की सुर्खिया बनी हुई है. कोटपूतली आगार डिपो में कुछ बसे अनुबंधन पर संचालित हो रही है, जिसमें दिल्ली जयपुर व अलवर सीकर रूट पर सभी बसे चल रही हैं.  कंडेक्टर व परिचालक का कहना है कि जिस अनुबंध के हिसाब से गाड़ी लगाई गई है उसके हिसाब से हमसे रूपये नहीं लिये जा रहे. बल्कि ज्यादा रूपये वसूले जा रहे हैं.


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ऐसा ही एक मामला दिल्ली से जयपुर रूट पर चलने वाली अनुबंधित बस का सामने आया है. अनुबंधित बस पर परिचालक रमेश यादव ने आरोप लगाया है कि दिल्ली से जयपुर व जयपुर से दिल्ली चलने वाली बस का कुल किलोमीटर 848 बनता है. जबकी कोटपूतली बस डिपो आगार के अधिकारी व कर्मचारी हमसे 912 किलोमीटर के हिसाब से रूपये वसूलते है, जो बिल्कुल गलत है.


इसको लेकर हमारे द्वारा विरोध भी किया गया और लिखित में एप्लिकेशन भी दी गई. लेकिन हमें धमकी दी जा रही है तुम्हें ब्लैक लिस्ट कर तुम्हें बाहर कर दिया जायेगा. परिचालक रमेश कुमार ने दो दिन बस रूट का राजस्व डिपो में 18656 रूपये जमा नहीं करवाया. डिपो प्रबंधन ने परिचालक के खिलाफ थाने मै शिकायत दी है. परिचालक रमेश कुमार का कहना या तो हमें पूरे किलोमीटर के हिसाब से रूपये दे, नहीं तो इस माह से अनुबंध खत्म कर दूसरी जगह बस संचालित करेंगे.


वही इस संदर्भ में कोटपूतली आगार डिपो चीफ मैनेजर अंजू कुमारी से बात की तो उनका कहना हमारी दिल्ली जयपुर हाइवे पर करीब दस बसे अनुबंधन पर चल रही है, जो 912 किलो मीटर के हिसाब से अनुबंधन पर हैं.  सभी से उसी हिसाब से मशीन के द्वारा टिकट कटने के आधार पर रूपये लिये जाते है.


किसी से भी कोई ज्यादा रूपए नहीं लिया जाता. अगर बस कम किलो मीटर चल रही तभी भी अनुबंध के हिसाब से ही रूपये लिये जाते है, जितने भी टिकटे बिकती है उस का पूरा ब्यौरा मशीन से निकालकर निगम के राजकोष में जमा करवाया है, जिसका सीधा फायदा निगम को मिलता है. उसमें हमारा कोई दोष नहीं है. अगर किसी सारथी व परिचालक को कोई समस्या है तो सीधा हमसे आकर मिले और अपनी बात लिखित में रखकर बताये.


उच्च अधिकारियों के निर्देशन के बाद जो भी फैसले लिये जायेंगे उसे स्वीकार किया जायेगा. लेकिन सरकारी रुपयों को कोई भी परिचालक इस तरह से नहीं रख सकता उन रुपयों को सरकारी कोष में जमा करवाना अनिवार्य है. प्रबंधन ने कोटपूतली थाने में परिचालक को रुपयों के गबन करने के आरोप में लिखित में शिकायत दे दी है, जिस पर पुलिस अपना काम कर रही है.


लेकिन अब सवाल ये बनता है आखिर ज़ब बस के अनुबंधन पर किसी बस चालक व परिचालक का सही हिसाब नहीं बैठ पा रहा तो डिपो प्रबंधन उनसे जबरन काम क्यों करवा रहा है. हालांकि मामला जाँच का ज़ब तक मामले में रोडवेज प्रबंधन के उच्च अधिकारी संज्ञान नहीं लेंगे तब तक मामले की सच्चाई समाने नहीं आयेगी.