Jaipur : अक्सर देखा जाता है दूसरे विभाग या निजी कंपनियां पीएचईडी की पेयजल पाइप लाइन को क्षतिग्रस्त कर देती है,जिसका खामियाजा आम जनता को उठाना पड़ता है. क्योंकि संबंधित इंजीनियर्स लाइन तोड़ने वालों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई नहीं करते,जिस कारण ऐसी घटनाएं बार बार घटती है.पीएचईडी सचिव समित शर्मा के निर्देश के बाद एक बार फिर से जलदाय विभाग ने सर्कुलर जारी किया.


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पूर्व मंत्री के आदेश का हवाला


जलदाय विभाग की पाइप लाइन टूटना कोई नहीं बात नहीं.पीएचईडी की बिना परमिशन के निजी कंपनियां और दूसरे विभाग बार बार पाइप लाइन तोड़ रहे.जिससे सरकारी संपत्ति का तो नुकसान होता ही है,इसके अलावा आम जनता को दिनों दिन पानी के लिए परेशानी होती है.पेयजल पाइप लाइन लीकेज पर जलदाय विभाग सख्त हुआ है.कुर्सी संभालने के बाद चीफ इंजीनियर ग्रामीण केडी गुप्ता ने सभी एडिशनल चीफ इंजीनियर्स को खत लिखा है.जिसमें पूर्व मंत्री किरण माहेश्वरी के आदेश का हवाला दिया गया.


दूदू में CE के आदेश का असर नहीं-



4 फरवरी को जलदाय मंत्री कन्हैयालाल चौधरी के पचेवर क्षेत्र में HPCL गैस कंपनी ने पाइप लाइन तोडी,जिसका असर डिप्टी सीएम प्रेमचंद बैरवा के विधानसभा क्षेत्र में देखने को मिला.8 दिन बाद अब तक दूदू के 13 गांवों में सप्लाई शुरू नहीं हुई और ना ही गैस कंपनी के खिलाफ एफआईआर दर्ज हुई.गैस कंपनी ने 1 किलोमीटर की दूरी पर जगह-जगह पाइप लाइन में लीकेज किया.


पाइप लाइन तोडने पर कानूनी कार्रवाई हो


यदि कोई विभाग या निजी कंपनी बिना परमिशन कार्य के दौरान पाइप लाइन क्षतिग्रस्त करता है तो उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई का प्रावधान है.अवैध,गैर-अनुमति कार्यों के कारण पाइपलाइन को हुए नुकसान के मामलों में विभाग को सार्वजनिक संपत्ति क्षति निवारण अधिनियम 1984 की धारा 3, उपधारा (2) के साथ-साथ आईपीसी की धारा 379 के तहत पुलिस में एफआईआर दर्ज करनी चाहिए. वहीं जुर्माना,पानी की वास्तविक लागत उत्पादन और परिवहन सहित विभाग को हुए वास्तविक नुकसान का दोगुना होना चाहिए.


सरकारी विभाग भी लापरवाह-


केवल निजी कंपनियां ही नहीं बल्कि दूरसंचार ऑपरेटर, बिजली,मोबाइल कंपनियां, इंटरनेट कंपनियां,नगर निगम और पीडब्ल्यूडी बिना पीएचईडी को सूचित किए बिना भी काम शुरू कर देते हैं,जिसके परिणामस्वरूप पानी की पाइपलाइनें क्षतिग्रस्त हो जाती हैं और बाद में कीमती पानी की बर्बादी होती है,जिससे आपूर्ति नहीं होत पाती.