जयपुर: राजधानी जयपुर की चौमूं नगरपालिका में अधिशासी अधिकारी की कुर्सी भी कठपुतली की तरह से हो गई है. डीएलबी निदेशक कठपुतली की भांति नगरपालिका की कुर्सी पर बैठने वाले EO की डोरी अपने हाथ में रखते हैं और खेल खेलते रहते हैं. जब मर्जी आती है डोरी को काट देते हैं और कुर्सी पर बैठी कठपुतली नीचे गिर जाती है. ऐसा इसलिए कह रहे हैं क्योंकि 15 दिन पहले 10 जुलाई को वित्तीय अनियमितताओं के चलते DLB निदेशक ह्रदेश कुमार ने एक आदेश निकाल कर अधिशासी अधिकारी जितेंद्र मीणा के साथ साथ सहायक और कनिष्ठ अभियंता को भी सस्पेंड कर दिया था.


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50 लाख का घोटाला करने का आरोप


तीनों अधिकारियों पर शहर में लगी तिरंगा लाइटों में 50 लाख का घोटाला करने का आरोप था. बीजेपी के साथ-साथ कांग्रेस के पार्षदों में भी तिरंगा लाइटों में हुए घोटाले को लेकर जिला कलेक्टर से लेकर DLB के अधिकारियों को शिकायत की थी. उसके बाद तीनों अधिकारियों को सस्पेंड कर दिया गया था. इधर, इस पूरे मामले की जांच के लिए DLB के वित्तीय सलाहकार ने 7 दिन में जांच करके रिपोर्ट पेश करने के लिए कमेटी का गठन किया था  लेकिन 15 दिन बीत जाने के बाद भी कमेटी का कोई सदस्य जांच करने के लिए नहीं पहुंचा.


ऐसे में क्या जांच होगी? और किसकी जांच होगी?यह भी बड़ा सवाल है लेकिन हां इतना जरूर है कि DLB निदेशक हृदेश कुमार ने 15 दिन के भीतर भीतर अपने ही हस्ताक्षर से सस्पेंड EO जिंतेंद्र मीणा को फिर से बहाल कर दिया और 24 जुलाई को जिंतेंद्र मीणा को APO करके कुशलगढ़ नगर पालिका में लगा दिया. अगले ही दिन 25 जुलाई को कुशलगढ़ से तबादला कर फिर से चौमूं नगर पालिका का अधिशाषी अधिकारी लगा दिया.



DLB निदेशक के इन आदेशों पर कई सवाल खड़े हो रहे हैं.आखिर डीएलबी निदेशक की जितेंद्र मीणा पर इतनी मेहरबानी क्यों है? और EO जितेंद्र मीणा का चौमूं में मोह क्यों अटका है?इसकी भी बड़ी चर्चा है. क्या 15 दिन में ही जितेंद्र मीणा के सारे दोष डीएलबी ने माफ कर दिए या फिर भी निदेशक ने गलती से मीणा को सस्पेंड कर दिया था.


चूना लगाने वाले अधिकारियों पर बड़े अधिकारी मेहरबान


अब निदेशक के इन आदेशों पर भी पर भी लोग चुटकी ले रहे है. शहर में चर्चा इस बात की भी हो रही है कि नगरपालिका में हाल ही में 10 करोड़ की सड़कों का टेंडर होना है.  इसके अलावा जितेंद्र मीणा पहले ही 62 लाख की तिरंगा लाइट का टेंडर कर चुके हैं. जिसमें 50 लाख का घोटाला करने का आरोप बीजेपी ने लगाया था. इतना ही नहीं डेढ़ करोड़ की लाइटें शहर में और लगाने का टेंडर भी निकाला जा चुका है. कहीं EO जितेंद्र मीणा का मोह करोड़ों रुपयों के टेंडर में तो नहीं अटका है इसलिए बार-बार उन्हें चौमूं नगरपालिका की याद आ रही है. कुल मिलाकर सरकार को ही चूना लगाने वाले अधिकारियों पर बड़े अधिकारी कुछ इस तरह से ही मेहरबान नजर आ रहे हैं.


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