Jaipur: कोर्ट ने लेबर वेलफेयर ऑफिसरों से रिश्वत लेने के मामले में पेश FR को किया अस्वीकार
Jaipur news: एसीबी मामलों की विशेष अदालत क्रम-1 महानगर द्वितीय ने श्रम विभाग में विभागीय कार्रवाई का भय दिखाकर जिलों में तैनात लेबर वेलफेयर ऑफिसरों से कमीशन के रूप में रिश्वत लेने के मामले में पेश एफआर को अस्वीकार कर दिया है.
Jaipur: एसीबी मामलों की विशेष अदालत क्रम-1 महानगर द्वितीय ने श्रम विभाग में विभागीय कार्रवाई का भय दिखाकर जिलों में तैनात लेबर वेलफेयर ऑफिसरों से कमीशन के रूप में रिश्वत लेने के मामले में पेश एफआर को अस्वीकार कर दिया है. इसके साथ ही अदालत ने तत्कालीन श्रम आयुक्त प्रतीक झाझड़िया और रमेश चन्द्र मीणा को लेकर विस्तृत जांच के आदेश देते हुए आर्थिक सलाहकार परिषद के कार्मिक आरोपी रवि मीणा और निजी व्यक्ति अमित शर्मा के खिलाफ प्रसंज्ञान लिया है.
अदालत ने अपने आदेश में कहा कि प्रथम दृष्टया रवि मीणा व अमित शर्मा द्वारा श्रम आयुक्त प्रतीक झाझड़िया के लिए श्रमिकों के कल्याण के लिए चलाई जा रही योजनाओं में दिए जाने वाले फंड आवंटित किए जाने एवं विभागीय कार्रवाई का डर दिखाकर जिलों में तैनात अधिकारियों से कमीशन के रूप में रिश्वत राशि की मांग कर रिश्वत राशि प्रतीक झाझड़िया को देने का रिकॉर्ड मौजूद है. वहीं श्रम आयुक्त के द्वारा अपने अधीन कर्मचारियों को कार्रवाई का डर दिखाकर अवैध राशि संग्रहित करवाने की रिकॉर्डिंग व श्रम आयुक्त के आवास से तीन लाख रुपए की राशि दोनों आरोपियों से बरामद होने के तथ्य की अनदेखी कर जांच अधिकारी ने संदिग्धों की ओर से दिए स्पष्टीकरण मात्र को ही सत्य मानकर एफआर पेश कर दी है. इसके साथ ही अन्य कई साक्ष्य भी प्रथम दृष्टया आरोपियों के खिलाफ हैं. इसके बावजूद जांच अधिकारी ने इनकी अनदेखी कर एफआर पेश कर दी.
एसीबी में रिपोर्ट कराई दर्ज
मामले के अनुसार एसीबी के उपाधीक्षक राजेश देरेजा ने एसीबी में रिपोर्ट दर्ज कराई की उसे गोपनीय सूत्र सूचना प्राप्त हुई है कि श्रम विभाग में पदस्थापित श्रम आयुक्त विभागीय कार्रवाई का डर दिखाकर रिश्वत ली जा रही है. इस पर संदिग्धों के फोन रिकॉर्ड किए गए. जिनसे प्रकट हुआ की श्रम आयुक्त की से अन्य आरोपियों से नियमित रिश्वत ली जा रही है.
यह राशि श्रम आयुक्त अपने विश्वसनीय रवि मीणा के जरिए ले रहा है. वहीं एसीबी ने 25 जून, 2021 को झाझडिया के सरकारी आवास पर दबिश देकर आरोपियों को पकडा और कुल आठ लाख से अधिक राशि बरामद की. वहीं बाद में प्रकरण में 12 लाख से अधिक की राशि और पकडी गई. इसके बाद एसीबी ने आरोपियों को गिरफ्तार कर अभिरक्षा में लिया. हालांकि बाद में एसीबी ने कोर्ट में साक्ष्य के अभाव में एफआर पेश कर दी.
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