Jaipur: नए साल की नई किरण के साथ जयपुराइट्स ने मंदिरों में पूजा अर्चना और दर्शनों के साथ शुरुआत की. अधूरे काम पूरा हों और पूरा वर्ष सुखमय रहे, भक्तों ने छोटीकाशी के तमाम मंदिरों में पहुंचकर मनोकामनाएं मांगीं. इसको लेकर सुबह से ही मंदिरों में भीड़ जुट गई थी.


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सिलसिला दिनभर जारी रहा.नए साल के पहले दिन छोटीकाशी के मंदिरों में श्रद्धालुओं की कतारें नजर आईं. मोतीडूंगरी गणेश मंदिर में सुबह 4 बजे से भक्तों की कतारें लगना शुरू हो गईं.व्यवस्था चाक चौबंद होने की वजह से दर्शन करने में भक्तों को ज्यादा मशक्कत नहीं करना पड़ी.आसानी से वे अपने प्रथम पूज्य के दरबार में पहुंच गए.हिंदू मान्यता है कि कोई भी नई शुरुआत में भगवान व अपने ईष्ट का आशीर्वाद लिया जाता है.


2023 का आज पहला दिन था, जिसके चलते बड़ी संख्या में लोग मंदिर दर्शन करने पहुंचे. भगवान श्रीगणेशजी को नवीन पोशाक धारण, स्वर्ण मुकुट धारण करवाकर फूलों के सिंहासन पर विराजमान किया गया.दरअसल सात साल के बाद ऐसा मौका आया है जब रविवार के दिन विभिन्न योगों का विशेष योग संयोग नए साल की शुरुआत हुई हैं.शिव, रवियोग, आनंदयोग, सर्वार्थसिद्धि योग के साथ नए साल की शुरुआत रात 12 बजे अश्विनी नक्षत्र में हुई.ऐसे में शुभ योगों का प्रभाव सभी राशियों के जातकों पर अच्छा रहेगा.सात साल बाद रविवार को ही नया साल शुरू होगा.और साल का अंत भी रविवार को ही होगा.


Jaipur: गोविंदेवजी मंदिर में भीड़ को देखते हुए झांकियो का  समय भी बढ़ाया 


Jaipur: नए साल की की शुरूआत आस्था और उमंग के साथ लोगों ने की.देर रात तक नव वर्ष उत्सव मनाने के बाद साल का पहला दिन धार्मिक आस्थाओं के साथ शुरू हुआ. जयपुरराइट्स ने नए साल-2023 के आगमन के समय पहले दिन देवदर्शन से शुरूआत की. मंगला झांकी से आराध्य गोविंददेवजी मंदिर में आस्था का सैलाब देखने को मिला. बडी संख्या में भक्तों ने अपने ईष्ट के दर्शन किए. 


इसके बाद अपने कार्य की शुरूआत की. वहीं कई श्रद्धालुओं ने घरों पर ही विशेष पूजा अर्चना के बाद कार्य का शुभारंभ किया.शहर के आराध्यदेव गोविंदेवजी मंदिर में मंगला झांकी में ही भक्तों की भीड नजर आई.हर ओर गोविंद के जयकारों से वातावरण सराबोर हो रहा था.हर कोई अपने आराध्य के दर्शन के लिए पहुंचा.इस अवसर पर ठाकुरजी के समक्ष 56 भोग की झांकी सजाई गई.साथ में भीड को देखते हुए झांकियों का समय भी बढाया गया.नए साल पर ठाकुरजी को नवीन पोशाक धारण करवाकर अलोकिक श्रृंगार भी किया गया.