Jaipur News: ऑटोइम्यून बीमारी रूमेटॉयड आर्थराइटिस को नियंत्रित करने के लिए अब बायोलॉजिकल दवाओं का इस्तेमाल बढ़ गया है. चिकित्सा विज्ञान ने मोनोक्लोनल एंटीबॉडीज बना ली हैं, जो इस बीमारी को नियंत्रित करने में कारगर हैं. वर्ल्ड रूमेटोलॉज फोरम और इंडियन रूमेटोलॉजी एसोसिएशन की ओर से जयपुर में रूमेटोलॉजी पर शुरू हुई दो दिवसीय इंटरनेशनल कॉन्फ्रेंस 'वर्ल्ड रूमेटोलॉजी फोरम समिट-2023' में विशेषज्ञों ने कुछ ऐसी ही जानकारी दी. आयोजन सचिव डॉ. राहुल जैन ने बताया कि पहले दिन ट्रेनीज ने केस प्रजेंट किए. 


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स्कॉटलैंड की डॉ. एरियर हैरिक ने स्क्लेरो डर्मा के प्रकारों के बारे में जानकारी दी. वहीं, डॉ. रमेश ने रूमेटॉयड आर्थराइटिस के इलाज में आई नई दवाओं के बारे में बताया. कॉन्फ्रेंस में 200 पोस्टर भी प्रदर्शित किए गए हैं, जिनमें से सबसे अच्छे पोस्टर को पुरस्कृत किया जाएगा. वरिष्ठ गठिया रोग विशेषज्ञ डॉ राहुल जैन ने बताया कि आजकल लोग गठिया के लक्षणों को लगातार नजरअंदाज करते हैं और शरीर को नुकसान पहुंचाने वाले पेन किलर सालों तक लेते रहते हैं, जो कि शरीर को बहुत नुकसान पहुंचाते हैं और मरीज डॉक्टर तक काफी देरी से पहुंचता है, जबकि आजकल बहुत कम दवाइयों के साथ इस बीमारी का इलाज उपलब्ध है. 


एसजीपीजीआई लखनऊ के डॉ. विकास अग्रवाल ने बताया कि नई दवाओं से अब रूमेटॉयड आर्थराइटिस को विकसित करने वाले प्रोटीन की सक्रियता को कम किया जा सकता है. मोनोक्लोनल एंटीबॉडीज सीधे इन प्रोटीन को ब्लॉक कर देती हैं और बीमारी नियंत्रित हो जाती है. 
 
कॉन्फ्रेंस के साइंटिफिक चेयरमैन डॉ. विनोद रवींद्रन ने बताया कि 'वर्ल्ड रूमेटोलॉजी फोरम समिट-2023' की थीम 'रूमेटॉयड आर्थराइटिस एंड सिस्टेमिक स्क्लेरोसिस: द ट्रिकी ट' रखा गया है, जिसमें इन दोनों बीमारियों के इलाज में कुछ नए टिप्स साझा किए जा रहे हैं. इस दौरान डॉ. वेद चतुर्वेदी, डॉ. प्रशांत अकेरकर, डॉ. बीजी धर्मानंद, डॉ. अमन शर्मा ने विभिन्न सत्रों में अलग-अलग जानकारी दी. 


जैक इन्हिबिटर ड्रग्स से बेहतर होगी जीवन गुणवत्ता
यूनाइटेड किंगडम से आए डॉ. क्रिस्टोफर एडवर्ड्स ने रूमेटॉयड आर्थराइटिस से जूझ रहे मरीजों के जीवन की गुणवत्ता को बेहतर करने वाली जैक इन्हिबिटर ड्रग्स के बारे में जानकारी दी. उन्होंने बताया कि जैक इन्हिबिटर नई तरह की दवाइयां हैं, जिससे रूमेटॉयड आर्थराइटिस के कारण मरीज के जोड़ों में होने वाले दर्द और सूजन को बहुत कम कर देते हैं. वहीं, जिस तरह स्ट्रोक या हार्ट अटैक के बाद रिहैबिलिटेशन किया जाता है. उसी तरह रूमेटॉयड आर्थराइटिस के शुरुआती लक्षण पता लगते ही प्री-हेबिलिटेशन किया जा रहा है. इसमें मरीज की फिटनेस, एक्सरसाइज, वजन कम करना, स्मोकिंग छोड़ने जैसी चीजों पर ध्यान दिया जाता है और बीमारी को आगे बढ़ने से रोक दिया जाता है. 


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