Jaipur : राजस्थान में वैसे तो सरकारी कर्मचारियों के तबादले होना आम बात है. लेकिन प्रदेश में सत्ता परिवर्तन के बाद आ रही तबादलों की लिस्ट पर तकरार बढ़ती जा रही है. एक के बाद एक ए लिस्ट में कुछ अधिकारियों के तबादले एक से ज्यादा बार होने पर कांग्रेस ने भी सरकार का ध्यानाकर्षण किया है. गोविंद डोटासरा ने सीधे मुख्यमंत्री भजन लाल शर्मा को अटैक करते हुए कई ट्विट किए. उन्होंने लिखा, कि राजनीतिक दुर्भावना से प्रेरित होकर तबादले किया जा रहे हैं.


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कल भी पीसीसी चीफ गोविंद डोटासरा ने सरकार में हो रहे तब बादलों पर चुटकी लेते हुए कहा था, कि कई बार तो ऐसा देखने में आया कि अधिकारी को जॉइनिंग पर दिए गुलदस्ते के फूल सूखे भी नहीं और दोबारा उसका तबादला हो गया. अब पीसीसी चीफ के बयान के बाद एक नई बहस इस मामले में उठती हुई दिख रही है. बीजेपी की तरफ से मोर्चा प्रदेश मंत्री रहे लक्ष्मीकांत भारद्वाज ने संभाला. भारद्वाज कहते हैं कि कांग्रेस सरकार में एक अधिकारी के 15 –15 बार ट्रांसफर हुए और अभी नई सरकार प्रशासनिक व्यवस्था दुरुस्त करने में जुटी है, तो कांग्रेस के पेट में दर्द क्यों हो रहा है.



दरअसल तबादले होने या नहीं होने को लेकर ना तो किसी को एतराज होना चाहिए और ना ही इस पर बहस जरूरी दिखती है. लेकिन सवाल यह उठता है कि 25–30 दिन में ही अधिकारियों का दोबारा ट्रांसफर करना पड़ रहा है, डॉक्टर्स की तबादला लिस्ट की सर्जरी दोबारा करनी पड़ रही है, शिक्षकों और ग्रामीण विकास विभाग के तबादलों में भी कुछ ऐसा ही आलम दिख रहा है, तो फिर क्या पहले सोच समझकर तबादले नहीं किए गए थे? या फिर जिस तबादला उद्योग के आरोप पहले की सरकारों पर लगाते रहे हैं क्या वह उद्योग और फल फूल रहा है?