Rajasthan News: विशेष योग्यजन न्यायालय का आदेश दिव्यांगजनों के लिए नजीर बन गया,क्योंकि 31 साल बाद पंचायतीराज के अध्यापक को न्याय मिला. अध्यापक रामवतार पारीक को वनवास काटना पड़ा.


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विशेष योग्यजन न्यायालय बना नजीर-



भगवान श्रीराम ने 14 साल का वनवास काटा था,लेकिन जयपुर के शाहपुरा के रामवतार पारीक को 31 साल का वनवास काटना पड़ा.पंचायतीराज विभाग की गलती के कारण रामवतार पारीक को अपनी नौकरी से हाथ धोना पड़ा. कई सालों बाद मामला विशेषयोग्यजन न्यायालय में पहुंचा तो 31 साल बाद दिव्यांग रामवतार पारीक को न्याय मिला.



नागौर के परबतसर पंचायत समिति ने जब गलती मानते हुए ये लिखा कि भावना के विपरीत नौकरी से हटाया गया,तब विशेषयोग्यजन आयुक्त उमाशंकर शर्मा ने विभाग को आदेश दिए है कि नौकरी का पूरा लाभ रामवतार पारीक को दिया जाए.हालांकि पारीक की उम्र अब 70 साल की है, इस हिसाब से वे 2014 में रिटायर्ड होते, लेकिन उन्हें अब पेंशन,ग्रेच्युटी समेत दूसरे लाभ मिलेंगे.



जाने आखिर क्यों हटाया अध्यापक को-



रामवतार पारीक का 1985 में चयन हुआ और पहली ज्वाइनिंग नागौर के परबतसर में हुई. रामवतार के मुताबिक 1992 में अस्थाई अध्यापकों को हटाने का आदेश निकला,जिसमें सभी अस्थाई अध्यापकों को हटा दिया,लेकिन रामवतार के साथ 4-5 अध्यापकों को चयनित होने के बावजूद पंचायत समिति ने नौकरी से हटा दिया.



रामवतार के अलावा गलती से जिन अध्यापकों को हटाया,उन्हें नौकरी मिल गई,लेकिन रामवतार पारीक को नहीं मिल पाई. उन्होंने पीएम,सीएम तक को चिट्ठी लिखी. पूरा मामला राजस्थान विधानसभा में उठा, पर न्याय नहीं मिल पाया. इसके बाद विशेष योग्यजन कोर्ट में मामला पहुंचा तो नौकरी में गलती की पूरी गुत्थी सुलझी.



बस समय पर पेंशन शुरू हो जाए


गलती पंचायत समिति की थी,लेकिन इसका हर्जाना पूरी जिंदगी रामवतार को भुगतना पड़ा.जिस कारण पूरी जिंदगी उनका पूरा परिवार दुख दर्द के बीच बिताए. अब तो इस बात की आस है कि पंचायतीराज विभाग उन्हें पेंशन और ग्रेच्युटी का लाभ समय पर दे सके.तभी उनका 31 साल का वनवास सफल हो पाएगा.