Jaipur: राजस्थान हाईकोर्ट (Rajasthan High Court) ने कर्मचारी चयन बोर्ड (staff selection board) को निर्देश दिए हैं कि वह ग्राम विकास अधिकारी भर्ती-2021 में पूछे गए दो प्रश्नों, प्रश्न संख्या 132 व 144 को परीक्षण के लिए विशेषज्ञ कमेटी के पास भेजे. अदालत ने कमेटी को कहा है कि वह माध्यमिक शिक्षा बोर्ड और राजस्थान ग्रंथ अकादमी की पुस्तकों के आधार पर इन प्रश्नों का परीक्षण करे. वहीं यदि कमेटी मॉडल उत्तर कुंजी में बताए जवाब को भी सही मानती है तो इन दोनों प्रश्नों को डिलीट किया जाए. अदालत ने कर्मचारी बोर्ड को कहा है कि वह विशेषज्ञ कमेटी की रिपोर्ट के आधार पर नए सिरे से मेरिट लिस्ट जारी करे और योग्य अभ्यर्थियों को दस्तावेजों के सत्यापन कर नियुक्ति दी जाए. 


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प्रभावित नहीं होंगे पूर्व में नियुक्त हो चुके अभ्यर्थी 


अदालत ने स्पष्ट किया कि इस आदेश से वे पूर्व में नियुक्त हो चुके अभ्यर्थी प्रभावित नहीं होंगे. जस्टिस सुदेश बंसल ने यह आदेश कुशाल भारद्वाज व अन्य की 70 याचिकाओं को निस्तारित करते हुए दिए. अदालत ने अपने आदेश में कहा कि यह कोर्ट का काम नहीं है कि वह विशेषज्ञ कमेटी के निर्णय पर अपना फैसला दे और ना ही यह ज्यूडिशियल रिव्यू के तहत आता है. इसके बावजूद भी यदि अदालत की नजर में आता है कि विशेषज्ञ कमेटी ने मनमानी की है और उसका निर्णय उपलब्ध दस्तावेजों के खिलाफ है तो कोर्ट उसमें दखल दे सकता है.


हिंदी ग्रंथ अकादमी और शिक्षा बोर्ड के हिसाब से सही थे जवाब 


याचिकाओं में अधिवक्ता रामप्रताप सैनी और विज्ञान शाह ने बताया कि कर्मचारी चयन बोर्ड (staff selection board) की ओर से जारी इस भर्ती परीक्षा में याचिकाकर्ताओं ने भाग लिया था. लिखित परीक्षा के बाद जारी मॉडल उत्तर कुंजी में याचिकाकर्ताओं के जवाब सही थे, लेकिन अंतिम उत्तर कुंजी में कुछ प्रश्नों के जवाब बदल दिए गए. जिसके चलते याचिकाकर्ता चयन से वंचित हो गए. जबकि हिंदी ग्रंथ अकादमी और शिक्षा बोर्ड सहित अन्य मान्यता प्राप्त पुस्तकों के आधार पर याचिकाकर्ताओं के जवाब सही थे. याचिका में कहा गया कि भर्ती में पूछे गए एक सवाल का जवाब पुस्तकों और वर्ष 2011 की जनगणना में अलग-अलग है. ऐसे में बोर्ड को इस सवाल को डिलीट करना चाहिए था, लेकिन बोर्ड ने ऐसा नहीं किया. 


वहीं राज्य सरकार और बोर्ड की ओर से कहा गया कि विशेषज्ञ कमेटी की रिपोर्ट के बाद ही अंतिम उत्तर कुंजी जारी की गई थी. वहीं ग्राम विकास अधिकारी के 5396 पदों में से करीब पांच हजार एक सौ पदों पर नियुक्तियां दी जा चुकी हैं. दोनों पक्षों को सुनने के बाद अदालत ने दो प्रश्नों को परीक्षण के लिए विशेषज्ञ कमेटी के समक्ष भेजा है.


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