Jaipur News: दशहरा मैदान में हिंदू आद्यात्मिक एवं सेवा मेले का आयोजन किया गया, जिसमें सैकड़ों धार्मिक पुस्तकों और ग्रंथों की स्टाल लगाई गईं. इस मेले का उद्देश्य समाज को हिंदू धर्म और सनातन संस्कृति की शिक्षा देना और एकजुटता का संदेश देना था. उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ और साध्वी ऋतंभरा सहित कई हिंदू विद्वानों ने इसमें भाग लिया. उपराष्ट्रपति ने दीप प्रज्वलन कर पांच दिवसीय मेले का शुभारंभ किया.


उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने हिंदू आध्यात्मिक सेवा मेल में कहा कि राजस्थान की वीर धरा पर खड़े होकर मैं उन वीर सेनानियों को याद करता हूं जिन्होंने देश की रक्षा के लिए अपने प्राण न्योछावर किए. यह भूमि राष्ट्रवाद की सुगंध से भरी हुई है. उन्होंने कहा कि उनका जीवन दूसरों की सेवा में समर्पित होगा, जो भारतीय संस्कृति का मूल मंत्र है. उपराष्ट्रपति ने आगे कहा कि देश ने कई चुनौतियों का सामना किया, विदेशी शक्तियों का शासन देखा, लेकिन हमारी सनातन संस्कृति बरकरार रही. यह संस्कृति हमारे खून में और स्वभाव में बसी हुई है. उन्होंने कहा कि अब समय आ गया है कि हम अपनी एकता को बनाए रखें और अपने मूल मूल्यों को नहीं भूलें.

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उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कहा है कि भारतीय संस्कृति में माता-पिता, गुरु और आचार्य का बहुत महत्व है, और अतिथि को देवता के समान माना जाता है. उन्होंने आगे कहा कि हमारे त्योहार और परंपराएं भी हमारी संस्कृति को दर्शाती हैं, जैसे कि मकर संक्रांति पर चारा खिलाना, नाग पंचमी पर नाग पूजा, नवरात्रि में कन्या पूजन और रक्षाबंधन पर भाई-बहन का असीम प्रेम. ये सभी हमारी भारतीय संस्कृति के मूल मंत्र को समझने में मदद करते हैं. उपराष्ट्रपति ने यह भी कहा कि 5000 साल की सनातन संस्कृति हमारे सामने है, और आज भी हिंदू संगठन सैकड़ों प्रकार की सेवा कार्य कर रहे हैं. उन्होंने पश्चिम बंगाल के राज्यपाल के रूप में अपने अनुभव साझा करते हुए कहा कि हिंदू संगठनों ने समाज में बहुत योगदान दिया है, जो हमारी संस्कृति की पहचान है.


 

उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने हिंदू आध्यात्मिक सेवा मेले में कहा कि धर्म हमें जोड़ता है, हमें आगे बढ़ता है और अध्यात्म की ओर ले जाता है. उन्होंने आगे कहा कि सनातन धर्म के उदय का समय आ गया है और आज का भारत बदल गया है. भारत की सफलता की गूंज पूरे दुनिया में है और अर्थव्यवस्था के मामले में हमने एक लंबी छलांग लगाई है, जिससे आने वाले समय में जापान और फिलिपींस जैसे कई देशों से आगे निकल जाएंगे. उन्होंने यह भी कहा कि भारत की पूरी दुनिया में एक अलग पहचान है और हमारी संस्कृति की विशेषता हमें विश्व में एक अलग स्थान दिलाती है. 

 


 

साध्वी ऋतंभरा ने कार्यक्रम में कहा कि वे चित्तौड़ की धरती को प्रणाम करती हैं, जहां की देवियों ने अपनी इज्जत की रक्षा के लिए मरण का महोत्सव मनाया और अग्नि स्नान किया. उन्होंने कहा कि जब राजस्थान की रानियों ने देखा कि वे पापियों से घिर गई हैं जो लाशों से भी बलात्कार करते हैं, तो उन्होंने अपने शरीर की राख को भी पापियों के हाथ में नहीं जाने देने के लिए यह कदम उठाया. साध्वी ऋतंभरा ने आगे कहा कि जब आसपास के लोगों ने रानियों की बहादुरी देखी, तो उन्होंने भी तय किया कि वे धर्म परिवर्तन नहीं करेंगे, चाहे इसके लिए प्राण त्यागना पड़े. उन्होंने कहा कि मरने से डरने वाले को जीने का अधिकार नहीं है और अगर इंसान अपने भय और लालच पर नियंत्रण कर ले, तो वह कुछ भी हासिल कर सकता है.


 

राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के प्रचारक वे सच्चे देशभक्त हैं जो मां भारती की सेवा में अपना जीवन समर्पित कर देते हैं. वे पारिजात के पुष्प की तरह हैं जो अपनी सुगंध और सौंदर्य से दूसरों को प्रेरित करते हैं, लेकिन हमें यह भी स्वीकार करना होगा कि हमने गौ माता की हत्या और बांग्लादेश में महिलाओं के साथ हो रही बलात्कार की घटनाओं पर पर्याप्त ध्यान नहीं दिया. हमारे आंसू नहीं बहे, हमारी नींद नहीं उड़ी, इसका मतलब है कि हमने अपनी मानवता को पूरी तरह से नहीं समझा. हमें अपने आसपास हो रही घटनाओं पर ध्यान देना होगा और मानवता की सेवा में आगे आना होगा.


स्वामी चिदानंद सरस्वती ने हिंदू अध्यात्म एवं सेवा मेले में कहा कि भगवान ने भारत में जन्म देकर भारतवासियों का सम्मान किया है. उन्होंने अपने विदेशी दौरों का अनुभव साझा करते हुए कहा कि भारत में जन्म होने पर गर्व महसूस होता है. स्वामी चिदानंद सरस्वती ने आगे कहा कि सनातन को लेकर कई सवाल उठाए जाते हैं, लेकिन वह कहते हैं कि सनातन रोग नहीं, बल्कि योग है, क्षमता है, मानवता है, प्रकृति है, और भविष्य है. उन्होंने कहा कि भारत शांति की धरती है और अब तीसरे नंबर की महाशक्ति बन गया है, लेकिन इसकी शक्ति दूसरों को मिटाने के लिए नहीं, बल्कि सबको साथ लेकर चलने के लिए है. उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि भारत ने कोरोना की वैक्सीन बनाई और न केवल अपने देश में, बल्कि कई अन्य देशों को भी मुफ्त में वैक्सीन उपलब्ध करवाई, यहां तक कि उन देशों को भी, जहां मुफ्त का कल्चर नहीं है.

 

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