Jaipur: राजस्थान हाईकोर्ट ने कैदियों के कल्याण से जुडे मामले में सुनवाई के दौरान कडी टिप्पणी की है. अदालत ने कहा कि हमने पूर्व में आदेश दे रखे हैं कि सिर्फ विशेष परिस्थितियों में ही कैदियों की फिजिकल पेशी कराई जाए. इसके बावजूद भी कैदी को बस से भरतपुर ले जाया गया. इसका परिणाम यह हुआ कि कैदी की बस में हत्या कर दी गई. 


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इस दौरान न केवल आम लोगों की सुरक्षा को खतरा पैदा हुआ, बल्कि जेल प्रहरियों का समय खराब होने के साथ ही रोडवेज को भी नुकसान पहुंचा. इसके साथ ही अदालत ने राज्य सरकार से पूछा है कि कहां-कहां वीसी की सुविधा उपलब्ध नहीं है और इसका क्या कारण है. वहीं अदालत ने यह भी बताने को कहा है कि पूर्व में 45 बिन्दुओं पर दिए आदेश की पालना में क्या कार्रवाई की गई. सीजे एजी मसीह और जस्टिस समीर जैन की खंडपीठ ने यह आदेश प्रकरण में लिए स्वप्रेरित प्रसंज्ञान पर सुनवाई करते हुए दिए. अदालत ने वीसी को लेकर कहा कि कहा कि तकनीक तेजी से बदल रही है तो उस पर शिफ्ट होना ही पडेगा.


राज्य सरकार ने मामले पर नहीं थी गंभीर- कोर्ट


सुनवाई के दौरान न्यायमित्र प्रतीक कासलीवाल ने कहा कि राज्य सरकार अदालती आदेशों की पालना को लेकर गंभीर नहीं है. कोर्ट ने कैदियों की वीसी से पेशी के लिए कह रखा है, लेकिन कैदी को बस से ले जाया गया और इस दौरान उसकी हत्या हो गई. इस पर अदालत ने कहा कि हम इस तथ्य से परिचित हैं. राज्य सरकार ने आदेश की अवहेलना का परिणाम देख लिया. अदालत ने महाधिवक्ता को कहा कि हर कैदी की वीसी से पेश क्यों नहीं कराई जाती. इस पर महाधिवक्ता ने कहा कि कई बार कोर्ट ही वीसी के लिए मना कर देती हैं. इस पर अदालत ने कहा कि वहां पर्याप्त संसाधन ही नहीं होंगे. 



अदालत ने राज्य सरकार से किए सवाल


सरकार देखे की सभी जगह वीसी की सुविधा उपलब्ध रहे. अदालत ने राज्य सरकार से पूछा की कैदी की मौत होने पर मुआवजे को लेकर क्या प्रावधान है. इसका जवाब देते हुए एजी ने कहा कि मंगलवार को विधानसभा में बिल पेश हो रहा है. उसमें कैदियों के लिए कई प्रावधान किए हैं. अदालत ने एजी से पूछा की कोर्ट की ओर से 45 बिन्दुओं पर दिए आदेश को लेकर बिल में प्रावधान किए गए हैं या नहीं. एजी आगामी 21 अगस्त को इस संबंध में भी जानकारी दें.


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