Jaipur: प्रदेश की प्रस्तावित ऊर्जा नीति 2050 में प्राकृतिक गैस और पेट्रोलियम सेक्टर की भूमिका भी तय की जाएगी. विद्युत क्षेत्र में नेट जीरो लक्ष्य प्राप्त करने में इस सेक्टर की प्रमुख भूमिका है. एसीएस माइंस डॉ. सुबोध अग्रवाल ने मंगलवार को सीईईड्ब्लू द्वारा प्रस्तावित ऊर्जा नीति 2050 के संबंध में प्रस्तुत प्रजेटेंशन के दौरान समीक्षा की. उन्होंने बताया कि प्राकृतिक गैस और पेट्रोलियम सेक्टर की भूमिका व प्रभाव पर सुझाव देने के लिए निदेशक पेट्रोलियम संदेश नायक की अध्यक्षता मेें एक सब ग्रुप बनाया जाएगा.


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जिसमें एमडी आरएसजीएल रणवीर सिंह, ओएनजीसी, ऑयल इंडिया, केयर्न, खाद्य विभाग, बीपीसीएल, आईओसीएल आदि से प्रतिनिधियों को शामिल किया जाएगा. उन्होंने बताया कि यह सब ग्रुप प्राकृतिक गैस व पेट्रोलियम क्षेत्र में प्रदेश में एक्सप्लोरेशन, ड्रिलिंग, डिपोजिट्स के साथ ही मांग व आपूर्ति के संबंध में आवश्यक सुझाव देगी. उन्होंने बताया कि राजस्थान प्राकृतिक गैस और कच्चे तेल के खोज व दोहन में अग्रणी प्रदेश है. जीरो नेट ऊर्जा के लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए इस सेक्टर की भी भूमिका रहेगी.


डॉ. अग्रवाल ने कहा कि प्रस्तावित नीति को तैयार करते समय विस्तृत विजन के साथ आगे आना होगा. इसमें 2050 में विभिन्न सेक्टरों यथा घरेलू, कृषि, उद्योग आदि सेक्टरों में संभावित मांग, उपलब्धता का डेटा बेस तैयार कर वैज्ञानिक दृष्टिकोण से दूरगामी नीति तैयार करनी होगी ताकि उसे राज्य की भावी संभावानाओं को देखते हुए धरातल पर लाया जा सके. उन्होंने कहा कि जितना एजम्पसन व्यावहारिक होगा उतनी ही नीति व्यावहारिक बन सकेगी.


सीईईड्ब्लू के दिशा अग्रवाल और जाइद अहसान खान ने पीपीटी प्रजेटेंशन के माध्यम से प्रस्तावित ऊर्जा नीति के विभिन्न बिन्दुओं पर जानकारी दी गई. उन्होंने बताया कि प्रस्तावित नीति के लिए पांच सब ग्रुप बिल्डिंग, पॉवर, उद्योग, ट्रांसपोर्ट और एग्रीकल्चर ग्रुप के सुझावों का समावेश किया जा रहा है. उन्होंने बताया कि पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस की भूमिका को देखते हुए नए सब ग्रुप से समन्वय बनाते हुए सुझावों का समावेश किया जाएगा.


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