Rajasthan News: प्रदेश में परिवहन विभाग ऑटोमेटेड ड्राइविंग ट्रायल ट्रैक पर जल्द ही नया बदलाव करने जा रहा है. 20 से अधिक जिला परिवहन कार्यालयों में ड्राइविंग लाइसेंस के लिए ट्रायल अब मैनुअल नहीं, बल्कि कैमरों के जरिए ली जाएगी. जयपुर के जगतपुरा सहित 13 आरटीओ और डीटीओ कार्यालयों में यह व्यवस्था पहले से लागू है. 


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जल्द शुरू होंगे नए ऑटोमेटेड ट्रैक
हनुमानगढ़ के जिला परिवहन कार्यालय में इन दिनों ड्राइविंग लाइसेंस के लिए आवेदकों की ट्रायल कम्प्यूटर सॉफ्टवेयर के आधार पर ली जा रही है. कम्प्यूटर ही आवेदकों के ट्रायल में पास या फेल होने का निर्णय कर रहा है. पिछले एक माह से चल रही यह ट्रायल काफी हद तक सफल रही है और मंगलवार को परिवहन मुख्यालय की टीम ने भी हनुमानगढ़ जिला परिवहन कार्यालय पहुंचकर इस नए सिस्टम को जांचा है. पायलट बेसिस पर चलाए गए सॉफ्टवेयर ट्रायल के सफल होने पर परिवहन मुख्यालय यह निर्णय लेगा कि सॉफ्टवेयर को प्रदेशभर के परिवहन कार्यालयों में लागू किया जा सकता है या नहीं. 


निजी कंपनी के सॉफ्टवेयर से काम जारी
दरअसल, अभी तक प्रदेश के 11 आरटीओ और 2 डीटीओ कार्यालयों यानी कुल 13 परिवहन कार्यालयों में ऑटोमेटेड ड्राइविंग ट्रायल ट्रैक पर ही ड्राइविंग लाइसेंस बनाए जा रहे हैं, लेकिन इन कार्यालयों में उपयोग किया जा रहा सॉफ्टवेयर निजी कम्पनी का है. पूर्व में परिवहन विभाग ने 2 साल के लिए ट्रायल ट्रैक का संचालन निजी कम्पनी स्मार्टचिप को सौंपा था. 2 साल पूरा होने के बाद ट्रैक वापस परिवहन विभाग को मिल चुके हैं, लेकिन लाइसेंस बनाने का काम अभी भी निजी कम्पनी के सॉफ्टवेयर के जरिए ही किया जा रहा है. 


मुख्यालय स्तर से जल्द किया जाएगा निर्णय
परिवहन विभाग की आईटी शाखा ने एक स्टार्टअप कंपनी के सहयोग से यह सॉफ्टवेयर तैयार किया है. इस सॉफ्टवेयर को कैमरा पद्धति आधारित ट्रायल ट्रैक के लिए विकसित किया गया है. जयपुर के जगतपुरा आरटीओ कार्यालय में जो व्यवस्था लागू है, उसमें निजी कंपनी स्मार्टचिप का सॉफ्टवेयर उपयोग किया जा रहा है. इस सॉफ्टवेयर में निजी कंपनी स्मार्टचिप के दखल देने और कई बार तकनीकी गड़बड़ियों की शिकायतें आती रही हैं, लेकिन जब परिवहन विभाग इस नए सॉफ्टवेयर को उपयोगी मान लेगा, तब सभी कार्यालयों में विभाग का यह नया सॉफ्टवेयर ही लागू किया जाएगा, जिससे ड्राइविंग लाइसेंस जारी करने की प्रक्रिया होगी. 


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