Jaipur: राजस्थान में राइट टू हेल्थ बिल पर डॉक्टरों का मसला अब खत्म हो चुका है. जिसके बाद मरीजों को राहत मिली है. निजी अस्पताल इस मामले में अपनी जीत का दावा कर रहे हैं और जश्न भी मना रहे है. क्योंकि करीब 95 फीसदी से ज्यादा निजी अस्पताल इस बिल के दायरे से बाहर आ चुके हैं. वहीं सरकार भी राइट टू हेल्थ बिल को लेकर अपना प्रचार प्रसार करने के लिए दिल्ली तक जक पहुंची है.


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राजस्थान के चिकित्सा मंत्री परसादी लाल मीणा शुक्रवार को दिल्ली पहुंचे. जहां उन्होंने प्रेस वार्ता के दौरान गहलोत सरकार की उपलब्धियों को गिनाया. राजस्थान को मेडिकल के मामले में मॉडल स्टेट बताया. उन्होंने कहा कि राजस्थान स्वास्थ्य सुविधाओं में दूसरे कई राज्यों से बेहतर है. 


मंत्री मीणा ने कहा कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने संकल्प लिया है कि राजस्थान निरोगी रहे, चाहे इसमें कितना ही बजट क्यों ना खर्च करना पड़े. निरोगी राजस्थान के संकल्प को पूरा करने के लिए ही चिरंजीवी योजना शुरू की. इसके तहत 1.75 करोड़ लोगों के प्रीमियम का पैसा भी राज्य सरकार ही जमा करवाती है. राजस्थान के अलावा कोई भी राज्य सरकार ऐसा नहीं करती है. 


मुख्यमंत्री चिरंजीवी बीमा योजना, मुख्यमंत्री निशुल्क दवा एवं जांच योजना आदि गहलोत सरकार की महत्वपूर्ण योजनाएं है. मुख्यमंत्री चिरंजीवी बीमा योजना में दस लाख रुपए तक का इलाज मरीजों को फ्री मिलता है. जिसे अब बढ़ाकर 25 लाख रुपए तक कर दिया गया है. मंत्री मीणा ने कहा कि कोरोना के दौरान देशभर में लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ा. लेकिन राजस्थान में कोरोना के दौरान मरीजों को पैसा खर्च नहीं करना पड़ा. अस्पतालों से मरीजों को रेमडेशिविर इंजेक्शन व अन्य दवाईयां निशुल्क मिली. 


स्वास्थ्य से जुड़ी इन योजनाओं को जब मुख्यमंत्री गहलोत ने शुरू किया तो भाजपा के साथियों ने कहा कि इतना पैसा कहां से आएगा. तब हमारे जादूगर मुख्यमंत्री ने कहा कि आप पैसे की चिंता मत करो. सारा काम हो जाएगा. जिसके बाद अब मुख्यमंत्री की ओर से राइट टू हेल्थ बिल को लाया गया है. इस बिल को लागू करने वाला राजस्थान देश का पहला राज्य है. राइट टू हेल्थ से लोगों को बड़ी राहत मिलेगी.


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