Jaipur news: राजस्थान हाईकोर्ट ने कैदियों की शैक्षणिक व्यवस्था में सुधार और जेल में नए वोकेशनल कोर्स शुरू करने के संबंध में सुझाव देने के लिए एक कमेटी गठित करने के आदेश दिए हैं. अदालत ने कहा कि कमेटी तीन माह में अपनी सिफारिश राज्य सरकार के समक्ष पेश करे. एक्टिंग सीजे एमएम श्रीवास्तव और जस्टिस अनिल उपमन की खंडपीठ ने यह आदेश परमेश्वरी देवी की याचिका पर दिए हैं. अदालत ने अपने आदेश में कहा कि इस बात को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता कि आधुनिक समय में रोजगार के अवसरों में कंप्यूटर शिक्षा सहित अन्य विशेष शैक्षणिक पाठ्यक्रम शामिल होने चाहिए. इन्हें लागू करना  कैदियों में बड़ा कदम साबित होगा.


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 याचिका में कहा गया कि कैदियों को दी जाने वाली शिक्षा में समयानुसार बदलाव किया जाना चाहिए. वर्तमान में कैदियों को पुराने आईटीआई डिप्लोमा और कुर्सी बनना सहित अन्य वोकेशनल कोर्स कराए जा रहे हैं, लेकिन अब इनका कोई उपयोग नहीं है. इन कोर्स की जगह पर नर्सिंग और एलएलबी सहित अन्य व्यावसायिक कोर्स कराए जाने चाहिए. याचिका में कहा गया कि बढ़ते कंप्यूटराइजेशन और डिजिटलीकरण के चलते इन कोर्स को ऑनलाइन कराया जा सकता है.


राज्य सरकार ने किया विरोध


वही, इसका विरोध करते हुए राज्य सरकार की ओर से कहा गया कि कंप्यूटर उपकरणों की कमी के कारण डिजिटल माध्यम से कैदियों को शिक्षा देना संभव नहीं है. इसके अलावा नर्सिंग व एलएलबी नियमित कोर्स होने के कारण जेल में कैदियों के लिए नहीं कराए जा सकते. हालांकि विधिक सेवा प्राधिकरण व कई एनजीओ की ओर से इस तरह के प्रोग्राम चलाए जा रहे हैं. 


राज्य सरकार की ओर से बताया गया कि जेल में इग्नू के जरिए दूरस्थ शिक्षा के माध्यम से कोर्स संचालित कराए जा रहे हैं, डिप्लोमा इन लाइब्रेरी साइंस और कंप्यूटर में पीजी डिप्लोमा इग्नू संचालित नहीं करता, ऐसे में संसाधनों के अभाव में इन कोर्स को संचालित नहीं किया जा सकता, जिस पर सुनवाई करते हुए खंडपीठ ने मामले में कमेटी गठित करने के आदेश दिए हैं, reporter:Mahesh Pareek 


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