jaipur: राजस्थान हाईकोर्ट ने व्याख्याता से वाइस प्रिंसिपल पद पर पदोन्नत हुए दंपत्तियों को एक ही जिले में पदस्थापन करने के मामले में दखल से इनकार कर दिया है. सीजे एजी मसीह और जस्टिस एमएम श्रीवास्तव की खंडपीठ ने यह आदेश पुनीत कुमार व अन्य की याचिका पर सुनवाई करते हुए दिए. अदालत ने कहा कि याचिकाकर्ताओं ने इस संबंध में एकलपीठ के समक्ष बहस किए बिना ही राज्य सरकार को प्रतिवेदन देने की बात कहकर अपनी याचिकाएं वापस ली थी. ऐसे में इस स्तर पर खंडपीठ का दखल देना सही नहीं है. याचिकाकर्ता राज्य सरकार के समक्ष अपना अभ्यावेदन दे.


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पति-पत्नी को एक ही जिले में नियुक्ति का बने प्रावधान


सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ताओं की ओर से कहा गया कि उन्हें और उनकी पत्नियों को व्याख्याता से वाइस प्रिंसिपल के पद पर पदोन्नति मिली है. सेवा नियमों में पति-पत्नी की पदोन्नति के बाद उन्हें एक ही जिले में नियुक्त करने का प्रावधान नहीं है. इसलिए सेवा नियमों में बदलाव कर पदोन्नति के बाद पति-पत्नी को एक ही जिले में नियुक्ति का प्रावधान बनाया जाए. जवाब में एएजी सत्येंद्र सिंह राघव ने कहा कि आरपीएससी के जरिए होने वाली नियमित सीधी भर्तियों में ही पति-पत्नी को उनकी पहली नियुक्ति में एक ही जिले में पदस्थापन करने का प्रावधान है. 


याचिका ली थी वापस


यदि डीपीसी के जरिए पदोन्नति होती है तो उसमें पति-पत्नी को एक ही जिले में नियुक्त करने का सेवा नियमों में कोई प्रावधान नहीं है. हालांकि प्रार्थियों ने राज्य सरकार को इस संबंध में प्रतिवेदन देने के आग्रह पर एकलपीठ में अपनी याचिका वापस ली थी. यदि वे राज्य सरकार के समक्ष प्रतिवेदन देंगे तो उन्हें कानूनी तौर पर तय किया जाएगा. खंडपीठ ने दोनों पक्षों की बहस सुनकर कहा कि राज्य सरकार उनके प्रतिवेदन पर निर्णय कर याचिकाकर्ताओं को उसकी जानकारी दें.


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