Jaipur News: अजमेर रोड पर भांकरोटा अग्निकांड को लेकर राज्य मानवाधिकार आयोग ने प्रसंज्ञान लिया है. मानवीय संवेदनाओं को झकझोरने वाली इस घटना पर आयोग अध्यक्ष जस्टिस जीआर मूलचंदानी द्रवित हो गए.


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उन्होंने नोटिस में लिखा कि प्रभु ना करे, मानवीय संवेदनाओं को झकझोर देने वाली, ऐसी किसी घटना का प्रसंज्ञान भविष्य में कभी लिया जाने के लिए विवश होना पड़े. उन्होंने मुख्य सचिव, गृह सचिव, कलेक्टर, पुलिस कमिश्नर और NHAI अध्यक्ष को हादसे को लेकर नोटिस जारी किए हैं. आयोग में मामले की अगली सुनवाई 17 जनवरी को रखी गई है.



राज्य मानवाधिकार आयोग ने भांकरोटा गैस टैंकर अग्निकांड पर स्वप्रेरित प्रसंज्ञान लिया है. आयोग ने लिखा है कि भोपाल त्रासदी के बाद भारत सरकार ने साल 1991 में "लोक दायित्व अधिनियम" पास किया था. इसके तहत किसी खतरनाक गैस के रिसाव एवं किसी खतरनाक पदार्थ के फैलने से होने वाले परिणामों पर दायित्व निर्धारित किया गया.



बता दें कि जयपुर शहर के अजमेर रोड पर 20 दिसम्बर सुबह गैस के एक टैंकर की दुर्घटना की वजह से भयावह अग्निकांड हुआ. जिसमें अब तक 14 व्यक्तियों की मृत्यु और 40 घायल हो गए तथा 32 वाहन आग की चपेट में आ गए.



आयोग अध्यक्ष ने नोटिस में लिखा,'' NHAI के मानकों के अनुरूप रोड कट से हट कर, मनमाने रूप से डिवाइडर के मिडियन का कट, रिंग रोडों पर बन रहे विभिन्न आवागमन बिन्दुओं पर, मुडाव एवं घुमाव रास्तों व क्लोवर लीफ का मानक रूप से, समयानुकूल ना बनना..



वाहन चालकों को अनियमित व उचित टेस्ट के बिना चालक लाईसेंस का जारी होना, चालकों का अधिक काम करना, पर्याप्त नींद ना लेना, घातक गैस व पदार्थों के भण्डारण का स्थान विभिन्न लोक कार्यक्षेत्रों में किया जाना और इनके भण्डारण के लिए अलग रिक्त स्थान चिन्हित ना करना, भीड़ भरे शहरी इलाकों में खतरनाक पदार्थ गैस आदि के परिवहन का आवागमन...



अनियमित यातायात पुलिस व्यवस्था, विभिन्न यातायात बिन्दुओं पर अनियमित यातायात सघनता, वाहनों के रख-रखाव में बरती गई उपेक्षा, वाहनों के अनियमित बिना परमिट व फिटनेस सार्वजनिक मार्गों पर चलना, मानव द्वारा बरती गई उपेक्षा, लापरवाही के साथ ही, मानव नियंत्रण से दूर कुछ ईश्वरीय कृत्य एवं ना टालने योग्य दुर्घटनाओं का होना, भी इन भयंकर घटनाओं के मुख्यदायी कारण रहते है.''



नहीं भूल पाए सीतापुरा डिपो अग्निकांड 



आयोग अध्यक्ष के मुताबिक, सीतापुरा तेल भंडारण में हुए अग्निकांड को जयपुर निवासी अभी भूल भी नहीं पाए हैं. वहीं 20 दिसम्बर को दिल दहला देने वाली, गैस टेंकर के आग की दुर्घटना घटित हो गई. इस घटना का प्रसंज्ञान घटना की दूरस्थ प्रभाव एवं भयावह स्थिति को दृष्टिगत रखते हुए, मानवीय पहलू के अनुकूल लिया जाना, अनिवार्य व अपरिहार्य होने के कारण इस विषय में सम्पूर्ण विवरण प्राप्त करके, घटना से प्रभावित लोगों को मानवीय राहत एवं क्षतिपूर्ति के विषय का अध्ययन करके, आवश्यक निर्देश प्रसारित करना भी अनिवार्य है.



परिवहन-यातायात विभाग नहीं कर रहे पालन 



आयोग अध्यक्ष जस्टिस GR मूलचंदानी ने लिखा कि प्रभु ना करे कि इस प्रकार के दायित्व संबंधी मानवीय संवेदनाओं को झकझोर देने वाली, किसी घटना का प्रसंज्ञान भविष्य में कभी लिए जाने के लिए विवश होना पड़े. घटना दुःखद व गंभीर है, केन्द्र सरकार, राज्य सरकार तथा तेल कम्पनी की ओर से क्षतिपूर्ति की राशि जारी की गई है.



दुर्घटना इतनी गंभीर है कि कई मृत शरीरों को डी.एन.ए. से पहचाना जा रहा है और दो की पहचान अभी भी बाकी है. जीवित व्यक्तियों का जलना व प्राईवेट बसों में मानक के अनुकूल आपातकालीन दरवाजों का बसों में ना पाया जाना, ऐसी घटनाओं की गंभीरता को और अधिक गंभीर बना देता है.