Jaipur: राइट टू हेल्थ बिल के मामले पर डॉक्टर्स की हड़ताल के सामने अकेली पड़ी सरकार को अब राजनीतिक दलों से समर्थन मिलने लगा है. माकपा नेता अमराराम ने इस मामले में हड़तालियों पर सख्ती बरतने का सुझाव दिया है. भले ही बीजेपी की तरफ से पूर्व प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया और पूर्व चिकित्सा मंत्री कालीचरण सराफ ने सरकार को हठधर्मिता छोड़ने की नसीहत दी हो, लेकिन माकपा के राज्य सचिव अमराराम ने सरकार के समर्थन में बयान जारी किया है. अमराराम ने सरकार से अपील करते हुए कहा कि चिकित्सा जैसी मानव सेवा को कुछ कारोबारी चिकित्सक पतीला पलीता लगाने को उतारू हैं. अमराराम ने कहा कि सरकार को इनसे सख्ती से पेश आना चाहिए.


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

राइट टू हेल्थ विधानसभा में पारित हुआ उससे पहले ही प्रदेश में बिल के खिलाफ विरोध हो रहा है. निजी अस्पताल अस्पतालों के डॉक्टर्स बिल के खिलाफ सड़कों पर उतरे हुए हैं. अब तो उन्होंने सरकार को दो टूक शब्दों में कह दिया है कि बिल को वापस लेने से कम कोई भी कदम उन्हें मंजूर नहीं होगा.


बीजेपी ने भी सरकार को चिकित्सकों से बात करने की और पूरे मामले के समाधान की नसीहत दी है. अब तक सरकार इस मुद्दे पर अकेले ही मोर्चा संभाले हुए थी, लेकिन अब राजनीतिक दलों की तरफ से भी सरकार को साथ मिलने लगा है. मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के राज्य सचिव और पूर्व विधायक कामरेड अमराराम ने प्राइवेट हॉस्पिटल की हड़ताल पर दुख जताया है. उन्होंने कहा की चिकित्सा सेवाएं सभी को सुलभ होनी चाहिएं. ऐसे में सरकार से मांग करते हुए अमराराम ने कहा कि आवश्यक सेवाओं के मामले में अगर कोई बाधा आती है, तो उस पर तत्काल कार्रवाई की जानी चाहिए.


अमराराम ने तो तल्ख शब्दों में यहां तक कह दिया कि सरकार को इन हड़ताली चिकित्सकों से सख्ती से पेश आना चाहिए. अमराराम ने कहा कि स्वास्थ्य रक्षा से बड़ी और कोई सेवा नहीं है. माकपा नेता ने कहा कि यह लाभकारी कारोबार ना होकर मानवता की सेवा करने वाला काम है. अमराराम ने कहा कि राज्य सरकार ने राइट टू हेल्थ बिल लाकर जनता को सहूलियत देने की कोशिश की, लेकिन कुछ निजी हॉस्पिटल और प्राइवेट डॉक्टर्स इसे पलीता लगाने को उतारू हैं, जो कतई मानवीय नहीं है .


पूर्व विधायक ने कहा कि सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवाओं पर ज्यादा से ज्यादा निवेश करके आम आदमी को इलाज जांच और दवाइयां सुलभ होनी चाहिए. अमराराम ने कहा कि कोविड जैसी महामारी के समय सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवाओं से ही आम आदमी के जीवन की रक्षा संभव हो सकी थी. अमराराम ने कहा कि केरल में तो अच्छा उदाहरण पेश किया गया. जिसके लिए संयुक्त राष्ट्र संघ ने केरल की स्वास्थ्य मंत्री केके शैलजा को सम्मानित भी किया था. राजनीतिक दलों की तरफ से सरकार को समर्थन मिलने के बाद आज के मुद्दे पर विरोध झेल रही सरकार को भी थोड़ी राहत जरूर मिली होगी.


यह भी पढ़ें- Ajmer: शहीद मेजर नटवर सिंह शक्तावत गार्म के नाम से जाना जाएगा अपेक्स बैंक से ब्राविया रेजिडेंसी तक का रास्ता