Jaipur News: ट्रांसफर पॉलिसी बनाने पर चर्चा लिए बुलाई बैठक में हंगामा, नारेबाजी करते हुए बाहर निकले कर्मचारी
Jaipur News: स्वास्थ्य निदेशालय के निदेशक डॉ. रवि प्रकाश माथुर की अध्यक्षता में सोमवार को मेडिकल और पैरामेडिकल स्टाफ के ट्रांसफर के लिए बनाई जा रही पॉलिसी पर चर्चा के लिए बैठक बुलाई गई थी. इस दौरान निदेशालय में जमकर हंगामा हुआ.
Rajasthan News: प्रदेश में मेडिकल और पैरामेडिकल स्टाफ के ट्रांसफर के लिए बनाई जा रही पॉलिसी पर चर्चा के लिए स्वास्थ्य निदेशालय में हुई बैठक में हंगामा हो गया. बैठक में नर्सिंग, लैब टैक्नीशियन, पैरा मेडिकल से जुड़े संगठनों के पदाधिकारियों की बात नहीं सुनने और उनको ट्रांसफर पॉलिसी का ड्राफ्ट प्लान उपलब्ध नहीं करवाने के विरोध में कर्मचारियों ने हंगामा कर दिया और नारेबाजी करते हुए बैठक से बाहर निकल आए.
बैठक में बात न सुनने का लगाया आरोप
स्वास्थ्य निदेशालय के निदेशक डॉ. रवि प्रकाश माथुर की अध्यक्षता में शाम 4 बजे बैठक बुलाई गई. इस बैठक में सेवारत चिकित्सक संघ, रेजीडेंट डॉक्टर्स यूनियन, अलग-अलग नर्सिंग एसोसिएशन, रेडियोग्राफर एसोसिएशन, एएनएम एसोसिएशन, लैब टेक्नीशियन एसोसिएशन के पदाधिकारियों को भी बुलाया. बैठक में डॉक्टर्स एसोसिएशन की बात सुनने के लिए निदेशक ने दूसरे एसोसिएशन के पदाधिकारियों की बात ही नहीं सुनी.
अस्पतालों में बढ़ रहे मरीज, लेकिन कर्मचारी अब भी उतने
लैब टैक्नीकल एसोसिएशन के प्रदेशाध्यक्ष जितेन्द्र सिंह ने बताया कि जब सरकार को हमारी बात ही नहीं सुननी थी, तो बैठक में बुलाया क्यों? उन्होंने कहा कि आज सभी विभागों में साल 2008 से लागू स्टाफिंग पैटर्न चल रहा है. इसका मतलब ये है कि जिस जगह जितने स्टाफ की जरूरत है उतना पद स्वीकृत होने के साथ वहां कर्मचारियों की तैनाती होनी चाहिए, लेकिन ऐसा नहीं हो रहा है. एसएमएस समेत दूसरे बड़े हॉस्पिटलों में आज पिछले 10-12 सालों में मरीजों व जांचों की संख्या 2 गुनी से ज्यादा बढ़ गई है, लेकिन कर्मचारी अब भी उतने ही है. अब इन कर्मचारियों का भी अगर ट्रांसफर कर दिया तो कैसे काम होगा?
न रहने के लिए क्वार्टर और न नियमांनुसार भत्ते
नर्सिंग एसोसिएशन के प्रदेशाध्यक्ष प्यारे लाल चौधरी ने बताया कि सरकार ट्रांसफर पॉलिसी लाना चाहती है तो अच्छी बात है, लेकिन सरकार पहले सुविधाएं तो दे. आज जयपुर, जोधपुर, कोटा, उदयपुर जैसे बड़ी शहरों से नर्सिंग ऑफिसरों व दूसरे स्टाफ का ट्रांसफर गांवों में बने हॉस्पिटल, सीएचसी में कर तो रही है, लेकिन वहां उनके रहने की कोई व्यवस्था नहीं है. न तो वहां क्वार्टर बने है और न ही स्टाफ को पर्याप्त मात्रा में भत्ते मिल रहे है. हमने सरकार से कुछ मांग रखी है और सरकार पहले उन्हें सुने और उनको लागू करें, उसके बाद ही ट्रांसफर पॉलिसी लेकर आए.
रिपोर्टर- भरत राज चौधरी
ये भी पढ़ें- Sikar News: खेलते-खेलते बोरवेल में गिरी 3 वर्षीय मासूम, पाइप काटकर सकुशल निकाला बाहर