Rajasthan News: राजस्थान की शिक्षा व्यवस्था की जमीनी हकीकत चिंताजनक है. Annual Status of Education Report (असर) की रिपोर्ट के अनुसार, प्रदेश के लगभग 10 फीसदी स्कूलों में पीने के पानी की सुविधा नहीं है, जिससे छात्रों को भारी परेशानी झेलनी पड़ रही है. वहीं, 4.5 फीसदी स्कूलों में बच्चे किसी न किसी जुगाड़ से पानी पीने को मजबूर हैं. शिक्षा के बुनियादी ढांचे की यह स्थिति सरकार की नीतियों पर सवाल खड़े करती है.


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शौचालय और लाइब्रेरी की भी स्थिति दयनीय
शौचालयों की हालत भी चिंताजनक है. 7.3 फीसदी स्कूलों में शौचालय ही नहीं हैं, जबकि 12 फीसदी स्कूलों में लड़कियों के लिए अलग शौचालय की सुविधा नहीं है. यह स्थिति छात्राओं की शिक्षा पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकती है. इसके अलावा, करीब आधे स्कूलों में छात्र लाइब्रेरी का उपयोग नहीं कर पा रहे हैं, जिससे उनकी पढ़ाई पर असर पड़ रहा है.



बच्चों की सीखने की क्षमता पर गंभीर सवाल
रिपोर्ट के मुताबिक, राजस्थान में शिक्षा का स्तर भी गिरता जा रहा है. पांचवीं कक्षा के 52.7 फीसदी बच्चे दूसरी कक्षा की किताबें तक नहीं पढ़ सकते. सरकारी स्कूलों में यह आंकड़ा और भी डराने वाला है, जहां 62.3 फीसदी बच्चे दूसरी कक्षा की सामग्री पढ़ने में असमर्थ हैं. आठवीं कक्षा के केवल 34.9 फीसदी छात्र ही 11 से 99 तक के अंक पहचान पाते हैं, जबकि सिर्फ 22.7 फीसदी बच्चों को घटाव और 33.3 फीसदी बच्चों को भाग करना आता है.



डिजिटल लर्निंग में बढ़ता जेंडर गैप
रिपोर्ट में डिजिटल शिक्षा को लेकर भी अहम आंकड़े सामने आए हैं. 50.5 फीसदी छात्र शैक्षणिक गतिविधियों के लिए स्मार्टफोन का इस्तेमाल करते हैं, लेकिन इसमें जेंडर गैप साफ दिखता है. 54.3 फीसदी लड़के डिजिटल टास्क के लिए स्मार्टफोन का उपयोग करते हैं, जबकि सिर्फ 47.1 फीसदी लड़कियां ही इसका इस्तेमाल कर पाती हैं.



सोशल मीडिया के लिए स्मार्टफोन का बढ़ता उपयोग
रिपोर्ट में यह भी सामने आया कि लड़कियां पढ़ाई के लिए स्मार्टफोन का ज्यादा इस्तेमाल करती हैं, जबकि लड़के सोशल मीडिया पर ज्यादा सक्रिय हैं. 52.1 फीसदी लड़कियां स्मार्टफोन का इस्तेमाल पढ़ाई के लिए करती हैं, वहीं 77.8 फीसदी लड़के सोशल मीडिया के लिए स्मार्टफोन का उपयोग करते हैं.


राजस्थान में शिक्षा व्यवस्था की यह तस्वीर बेहद चिंताजनक है. सरकार को जल्द से जल्द इस ओर ध्यान देना होगा, ताकि छात्रों का भविष्य अंधकारमय न हो.


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