जयपुर: तेलंगाना रोडवेज को राज्य सरकार में किया मर्ज, राजस्थान में भी 2 साल से लंबित चल रहा प्रस्ताव
जयपुर न्यूज: तेलंगाना रोडवेज को राज्य सरकार में मर्ज किया गया है. राजस्थान में भी 2 साल से ये प्रस्ताव लंबित चल रहा है.पूर्व परिवहन मंत्री प्रताप सिंह ने चिट्ठी लिखी थी. तत्कालीन सीएमडी ने भी अर्धशासकीय पत्र लिखा था.
जयपुर: तेलंगाना में राज्य कैबिनेट ने एक बड़ा निर्णय किया है. तेलंगाना रोडवेज को वहां के सरकार द्वारा एक विभाग माने जाने का निर्णय पारित किया जा चुका है. राजस्थान में भी रोडवेज को राज्य सरकार के विभाग के रूप में शामिल करने के लिए कवायद 2 साल से चल रही है. लेकिन अभी तक वित्त विभाग की ओर से सकारात्मक निर्णय नहीं होने से प्रस्ताव अटका हुआ है.
राजस्थान रोडवेज के करीब 13 हजार कर्मचारियों को तेलंगाना राज्य कैबिनेट के एक निर्णय ने बड़ी उम्मीद दी है. सोमवार को तेलंगाना कैबिनेट ने डिसीजन किया है कि वहां रोडवेज को राज्य सरकार में एक विभाग के रूप में मर्ज किया जाएगा.
दरअसल राजस्थान में भी रोडवेज को एक सरकारी विभाग के रूप में शामिल करने के लिए प्रयास हुए हैं. पूर्व परिवहन मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास ने 2 वर्ष पहले राजस्थान रोडवेज को राजकीय विभाग के रूप में मर्ज करने के लिए मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को पत्र लिखा था. इससे पहले भी कई राज्यों में राज्य सरकारें रोडवेज को एक विभाग के रूप में शामिल कर चुकी हैं.
हरियाणा में राज्य सरकार ने कर्मचारियों के आंदोलन के चलते रोडवेज को एक विभाग के रूप में शामिल किया था. इसके साथ ही आंध्रप्रदेश में भी पूर्व में ऐसा किया जा चुका है. राजस्थान में रोडवेज कर्मचारी लंबे समय से इसे लेकर आंदोलन कर रहे हैं. रोडवेज के सीटू और अन्य संगठनों ने इसे एक विभाग के रूप में शामिल करने के लिए आंदोलन चलाया है. रोडवेज कर्मचारियों के लगातार आंदोलन पर तत्कालीन परिवहन मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास ने 18 अगस्त 2021 को सीएम अशोक गहलोत को पत्र लिखा था.
यह पत्र लिखा था खाचरियावास ने
- रोडवेज के मासिक आय-व्यय में है 100 करोड़ रुपए का अंतर
- रोडवेज बसें जनहित में कम सवारियों वाले रूटों पर भी चलती
- रोडवेजकर्मियों को हर माह का वेतन 2 महीने की देरी से मिल रहा
- इससे कर्मचारियों में असंतोष, सरकार के प्रति अच्छा संदेश नहीं
- इस सरकार में 875 बसें खरीदी गई, 2000 और बसें खरीदे जाने की जरूरत
- जिससे अलग से ग्रामीण परिवहन बस सेवा की जरूरत नहीं होगी
- रोडवेज की करीब 9 हजार करोड़ की परिसम्पत्तियां हैं
- इनकी देखभाल सही नहीं होने से अतिक्रमण किए जा रहे
- सेवानिवृत्त कर्मचारियों को सेवानिवृत्ति परिलाभ मिलने में भी देरी
- वर्तमान में रोडवेज में 15 हजार कर्मचारी हैं कार्यरत
- हरियाणा की तर्ज पर राजकीय विभाग के रूप में मर्ज करें तो स्थाई समाधान संभव
राजस्थान रोडवेज में मौजूदा कार्मिकों की संख्या लगातार कम होती जा रही है. 2 वर्ष पहले जब खाचरियावास ने सीएम को पत्र लिखा था तब रोडवेज में करीब 15 हजार कर्मचारी थे, जबकि अब इनकी संख्या करीब 13 हजार ही रह गई है. इसकी अपेक्षा में हरियाणा और तेलंगाना जैसे राज्यों में वहां के रोडवेज कर्मचारियों की संख्या अधिक थी. परिवहन मंत्री के पत्र के बाद रोडवेज के सीएमडी संदीप वर्मा ने भी परिवहन विभाग के तत्कालीन प्रमुख सचिव अभय कुमार को पत्र लिखकर रोडवेज को राजकीय विभाग के रूप में शामिल करने के लिए सैद्धांतिक अनुमति मांगी थी.
किस राज्य में कितने रोडवेज कर्मचारी हुए मर्ज
- हरियाणा में 3900 बसें, 19 हजार कर्मचारी हुए सरकार में मर्ज
- आंध्रप्रदेश में 12 हजार बसें, करीब 50 हजार कर्मचारी हुए मर्ज
- तेलंगाना में 9232 बसें, 43373 कर्मचारी हुए सरकार में मर्ज
- राजस्थान रोडवेज में 3600 बसें, करीब 13 हजार कर्मचारी
राजस्थान रोडवेज को राजकीय विभाग के रूप में मर्ज किए जाने का प्रस्ताव वित्त विभाग के स्तर पर लंबित बताया जा रहा है. चुनावी साल में रोडवेज कर्मचारी उम्मीद कर रहे हैं कि राज्य सरकार उनकी मांगों पर सकारात्मक रुख अपनाएगी और रोडवेज को एक विभाग के रूप में राज्य सरकार में मर्ज कर लिया जाएगा. रोडवेज प्रशासन की तरफ से भी इस संबंध में सकारात्मक प्रयास किए जा रहे हैं.
रिपोर्टर-काशीराम चौधरी
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