Jaipur News:नहरबंदी को लेकर जल संसाधन विभाग ने बड़ा फैसला लिया है.20 मार्च से 19 अप्रैल तक आंशिक नहर बंदी की जाएगी.नहरबंदी के दौरान पेयजल की उपलब्धता के लिए निर्णय लिया गया है.15 जिलों में 20 अप्रैल से 19 मई तक पूर्ण नहरबंदी होगी.इंदिरा गांधी फीडर,मुख्य नहर का जीर्णोद्धार किया जाएगा.रावी व्यास की नदियों के पानी के लिए योजना आकर ले रही है.


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जल संसाधन विभाग और पीएचईडी की संयुक्त मीटिंग में फैसला लिया गया है.एसीएस अभय कुमार और सचिव समित शर्मा ने मीटिंग ली.नहरबंदी के दौरान कंट्रोल रूम स्थापित करने के दिए निर्देश.पानी की चोरी रोकने के लिए पुलिस का भी सहयोग लिया जाए.अतिरिक्त मुख्य सचिव ने कहा कि इंदिरा गांधी नहर परियोजना की क्षमता 18 हजार क्यूसेक है. 



वर्तमान में यह क्षमता घटकर 12 हजार क्यूसेक ही रह गई है. नहर का निर्माण 60 वर्ष पूर्व किया गया था जो अत्यधिक क्षतिग्रस्त हो गई है,जिससे प्रदेश को अपने हिस्से का 60 प्रतिशत जल ही प्राप्त हो पाता है.पेयजल और सिंचाई के लिए लोगों को समुचित पानी उपलब्ध नहीं हो पा रहा है. किसानों और आमजन के हितों को ध्यान में रखते हुए आंशिक और पूर्ण नहर बंदी का निर्णय लिया गया है.


उन्होंने निर्देश दिये कि पूर्ण नहर बंदी शुरू करने से पहले समस्त जल भंडारणों, नहरों में पोंडिंग, तालाबों, डिग्गियों, जोहड़, सार्वजनिक जल स्रोतों के अलावा निजी डिग्गी, जोहड़ निजी भंडारण स्रोतों का भी पूर्ण भरण सुनिश्चित किया जाए. इस दौरान नहरों में जल प्रवाह और किये गए पोन्डिंग की चोरी को रोका जाए.



सचिव डॉ.समित शर्मा ने कहा कि पूर्ण एवं आंशिक नहर बंदी के दौरान कंट्रोल रूम स्थापित किया जाए. पानी की चोरी रोकने के लिए पुलिस का भी सहयोग लिया जाए. उन्होंने बिजली की उपलब्धता भी सुनिश्चित हो इसके लिए विद्युत विभाग से समन्वय स्थापित करने के निर्देश दिये। उन्होंने नहरबंदी से पूर्व पेयजल ट्यूबवेल हैंडपंप की अनुमति जारी करने के भी निर्देश दिये.


उल्लेखनीय है कि इंदिरा गांधी नहर परियोजना क्षेत्र में आठ जिलों श्री गंगानगर, अनूपगढ़, हनुमानगढ़, बीकानेर, चूरू, जैसलमेर, जोधपुर और फलोदी के 16.70 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई होती है. जबकि 15 जिलों बाड़मेर, बालोतरा, सीकर, नीम का थाना, झुंझुनूं, नागौर, डीडवाना- कुचामन, गंगानगर, अनूपगढ़, हनुमानगढ़, बीकानेर, चूरू, जैसलमेर, जोधपुर और फलोदी के 49 शहर/ कस्बे, 7500 गांव-ढ़ाणी तथा महाजन फायरिंग रेंज और सेना को पेयजल उपलब्ध होता है.


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