Rajasthan News: DPR बनाने में किसकी समझ का अभाव? क्या केंद्र सरकार का अमृत 2 प्रोजेक्ट राजस्थान में विवादों की भेट चढ गया है. पीएचईडी से ये सवाल इसलिए उठ रहे है क्योंकि अमृत 2 की DPR तीसरी बार बन रही है. पहली DPR रूडिस को, फिर PHED फील्ड इंजीनियर की सलाह के बाद मॉडिफाई DPR और अब विभाग स्तर पर फिर से DPR बनाई जा रही है. बार-बार डीपीआर बनाने पर समय बीतता जा रहा है, लेकिन डीपीआर फाइनल नहीं हो रही है. ऐसे में जलदाय विभाग में सवाल ये खडे हो रह है कि क्या 5,000 करोड़ का अमृत विवादों से घिर गया है. जलदाय मंत्री कन्हैयालाल चौधरी ने भी माना है कि डीपीआर में देरी हुई है. रूडसिको की बनाई गई DPR की खामियों को दूर किया जा रहा है.145 में से 50 से ज्यादा DPR बन गई है.


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PHED की पॉलिसी पैरामीटर्स क्या?
सवाल ये भी PHED की पॉलिसी पैरामीटर्स क्या है, क्या अमृत की गाइडलाइन की मुताबिक DPR बनाने में फेलियर साबित हो रहे है. 2025 तक अमृत के शहरी इलाकों में 8.35 लाख नए पेयजल कनेक्शन होने है, जिससे करीब 42 लाख की आबादी लाभान्वित होगी. इस योजना का लाभ 183 कस्बों तक पहुंचना है. इस योजना के जरिए शहरी क्षेत्रों में हर घर तक 100 प्रतिशत पानी की सप्लाई होनी है. हालांकि, जलदाय मंत्री कन्हैयालाल चौधरी ने दावा किया है कि जल्द ही इसकी डीपीआर बनाकर काम शुरू किया जाएगा.


किसको समझ नहीं आ रही गाइडलाइन?
अमृत 2 लापरवाही पर शहरी चीफ इंजीनियर राकेश लुहाडिया और डीपीआर बनाने वाली कंपनी वेबकॉस को नोटिस दिया जा चुका है, लेकिन सवाल ये है कि आखिर कन्फ्यूजन की स्थिति कहां है वेबकॉस या जलदाय मुख्यालय? आखिरकार कौन नहीं समझ रहा है कि अमृत 2 की गाइडलाइन? आखिर किस मेथड में उलझ गई अमृत की डीपीआर?


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