Jaipur News: प्रदेश सरकार चुनावी आचार संहिता लागू होने से पहले नए बजट की घोषणाओं को मूर्त रूप देने में जुटी हुई है.पीडब्ल्यूडी में भी नई सड़कों के टेंडर प्रोसेस शुरू किए जा रहे हैं लेकिन दूसरी ओर राज्य में सड़कों का काम करने वाले ठेकेदारों ने 45 दिन से हड़ताल पर हैं और टेंडरों का बहिष्कार कर दिया है. यूनाइटेड कॉन्ट्रेक्टर एसोसिएशन राजस्थान के अध्यक्ष बीएस राव का कहना है कि मुख्यमंत्री गहलोत से आज हमारे डेलीगेशन से मुलाकाती हैं लेकिन लिखित में निर्णय नहीं होने तक हम काम नहीं करेंगे. हमारी लड़ाई जायज मांगों को लेकर है.समाधान होने तक हड़ताल जारी रहेगी, भले ही कितनी भी कीमत चुकानी पड़े.


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ठेकेदारों की हड़ताल के कारण प्रदेश में प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना (पीएमजीएसवाई) की 1745.73 करोड़ की 266 और प्रदेश सरकार द्वारा बजट 2023 में घोषित 6500 करोड़ की 165 सड़कें अटक गई हैं. सरकार ने पिछले दो माह में कुल 431 सड़कों में से करीब 350 के 7500 करोड़ के टेंडर निकाले, लेकिन एक भी ठेकेदार ने आवेदन नहीं किया. सरकारी बिल्डिंगों के निर्माण कार्यों की प्रगति रिपोर्ट भी शून्य है. राव का कहना हैं उनकी जो मांगे हैं उनमें 47वीं जीएसटी काउंसिल में निर्माण कार्य ठेकेदारों पर 12 प्रतिशत जीएसटी दर तय की थी.अब इसे 6 प्रतिशत बढ़ाकर 18 प्रतिशत कर गया है.


ठेकेदारों की मांग है कि मध्यप्रदेश, कर्नाटक, महाराष्ट्र में जीएसटी की नई रेट बढ़ने से पहले जारी वर्क ऑर्डर में ठेकेदार को राहत देते हुए बढ़ी हुई जीएसटी का भुगतान सरकार कर रही है। ऐेसा ही राजस्थान में होना चाहिए. डिफेक्ट लायबिलिटी पीरियड (डीएलपी) को 5 से घटा कर फिर 3 वर्ष करने की मांग की. साथ ही प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना (पीएमजीएसवाई) की तर्ज पर स्टेट सड़कों के रखरखाव के लिए अलग से बजट. माइनिंग के नियमों का सरलीकरण हो.


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कुल 1.5 मीटर तक की गहराई तक को माइनिंग व एनजीटी के नियमों से ठेकेदार को मुक्त किया जाए. निविदाओं में एनएचएआई, पीएमजीएसवाई की तर्ज पर अन्य राज्यों की भांति ठेका मूल्य में जीएसटी की राशि बिलों में जोड़कर भुगतान की जाए. रजिस्ट्रेशन दो साल में नवीनीकरण की प्रक्रिया को निरस्त कर स्थायी किया जाए. समय सीमा वाले मामलों में एक बार ऑडिट जैसी व्यवस्था लागू हो.समस्याओं के समाधान के लिए हर बार जयपुर जाना पड़ता है, इसलिए संभाग मुख्यालयों पर मुख्य अभियंता के पद सृजित हों.