Jaipur:  22 जनवरी को अयोध्या में जयपुर के चांदी के थाल से रामलला का पहला भोग लगाया जाएगा. 7.5 किलो चांदी से तैयार किए चांदी के थाल में भगवान श्रीराम को भोग परोसा जाएगा. इस थाल में चांदी की शिला को हनुमान जी हाथों पर उठाए हुए है. थाल को जयपुर के राजीव पाबूवाल और लक्ष्य पाबूवाल ने तैयार किया. रामायण और रामचरित मानस के अध्ययन के बाद थाल बनाया गया. इस थाल में भगवान राम के 4 अश्व कर्म, धर्म, अर्थ, मोक्ष को उकेरा गया.


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भोग के लिए जयपुर के थाल को क्यों चुना-


अयोध्या में 22 जनवरी को होने वाले रामलला के प्राण-प्रतिष्ठा महोत्सव में प्रभु राम की सेवा का सौभाग्य जयपुर को भी मिला है. महोत्सव के बाद मर्यादा पुरुषोत्तम के विग्रह को चांदी के जिस थाल में पहला भोग परोसा जाएगा, वह थाल गुलाबी नगरी में ही तैयार हुआ है. इस थाल की सबसे खास बात ये है कि इसे चांदी की शिला पर हनुमानजी अपने दोनों हाथों से उठाए हैं. थाल में रखे गए कलश में चार अश्व लगाए गए हैं. साथ ही 9 नवरस (नौ भावनाएं), नवधा भक्ति (नौ भक्ति के रूप), नवग्रह (नौ ग्रह) और नवदुर्गा (मां दुर्गा के नौ रूप) को प्रदर्शित करते हुए नौ शुभ चिह्न भी उकेरे गए हैं. थाल में सुंदरकांड के 35वें सर्ग के 15 श्लोक भी उकेरे गए हैं. पचास लोगों की टीम ने दो माह में यह थाल तैयार किया.


हर कटोरी पर 21 कमल की पंखुड़ियां हैं. चारों में कुल 84 पंखुडियां हैं। पंखुड़ियों का तात्पर्य मनुष्य ही नहीं धर्म मार्ग पर चलते हैं तो 84 हजार योनियों को सही मार्ग मिलता है


मदिर ट्रस्ट ने दी स्वीकृति-


अयोध्या में राम मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष चंपतराय और राम मंदिर के पुजारी गुरु गोविंद देव गिरी को हाल ही में 7.5 किलो चांदी से बना यह थाल जयपुर के सिविल लाइंस में रहने वाले राजीव और लक्ष्य पाबूवाल ने भेंट किया. इसके बाद चंपतराय ने थाल में ही प्रभु राम को पहला भोग लगाने को कहा गया.


इस तरह थाल को किया तैयार-
लक्ष्य पाबूवाल ने बताया कि रामायण और रामचरित मानस ग्रंथ के अध्ययन के बाद डिजाइन तैयार की गई.  इसके बाद थाल, कमल की पंखुड़ी के आकार वाले चार कटोरे और कलश तैयार किए गए. भगवान राम के रथ में चार अश्व हैं, इसलिए थाल में इन्हें शामिल करने का विचार आया. ये चारों अश्व जीवन के चार प्रमुख तत्व कर्म,धर्म,अर्थ और मोक्ष को दर्शाते हैं.