Jaipur Serial Blast:  जयपुर सीरियल बम ब्लास्ट मामले में 4 दोषियों को बरी करने के राजस्थान हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ पीड़ितो के परिजनों की ओर से दायर अपील को सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के लिए स्वीकार कर लिया है. सुप्रीम कोर्ट ने अपील को स्वीकार करते हुए बम ब्लास्ट केस में निचली अदालत के रिकॉर्ड को तलब करते हुए मामले की सुनवाई 17 मई को तय की है. सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में पीड़ितों की ओर से दायर अपील को सुनवाई के लिए स्वीकार करने के साथ ही राजस्थान सरकार की अपील को भी अनुमति दे दी है.


हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगाने से इंकार, दोषियों को नोटिस


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सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में फिलहाल राजस्थान हाईकोर्ट के फैसले पर अंतरिम रोक लगाने से इंकार करते हुए चारों दोषियों को भी नोटिस भेजा है. पीड़ित परिजनों और राज्य सरकार की दलीले सुनने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वह इस स्टेज पर हाईकोर्ट के फैसले पर रोक नहीं लगा सकती है इसलिए पहले वह ट्रायल कोर्ट के रिकॉर्ड को देखने के बाद ही निर्णय लेगी. पीठ ने दोषियों को जेल भेजने के मामले पर भी कहा कि दो​षियों को लगातार जेल में नहीं रखा जा सकता, दोषियों को फिलहाल जेल में रखने पर सहमत नहीं, क्योंकि वो बरी हो चुके है.


सरकार ने दायर की अपील, अटॉर्नी जनरल करेंगे पैरवी


जस्टिस ए एस ओका और जस्टिस राजेश बिंदल की पीठ के समक्ष हुई सुनवाई के दौरान पीड़ितो के साथ राजस्थान सरकार ने भी हाईकोर्ट के फैसले का विरोध किया. शुक्रवार को सुनवाई के दोरान राजस्थान सरकार की ओर से Attorney General R Venkataramani और Additional advocate general manish singhvi पेश हुए. Attorney General ने राजस्थान सरकार का पक्ष रखते हुए कहा कि इस मामले में राजस्थान हाईकोर्ट ने दोषियों को बरी करते हुए कई महत्वूपर्ण तथ्यों को नजरअंदाज किया है. Attorney General ने कहा कि राजस्थान हाईकोर्ट के फैसले पर राज्य सरकार की ओर से भी अपील के लिए सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गयी है.


यह जानकारी दिए जाने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने पीड़ितो की ओर से दायर अपील के साथ राजस्थान सरकार की अपील को भी आगामी सुनवाई में शामिल करते 17 मई की तारीख तय की.


क्या कहा याचिका में


याचिका दायर करने वालो में सीरियल बम ब्लास्ट में मृतक व्यक्ति की पत्नी राजेश्वरी देवी और एक मृतक के पुत्र अभिनव तिवारी भी शामिल है. सुप्रीम कोर्ट में दायर की गई याचिका में कहा गया है कि राजस्थान हाईकोर्ट ने मामले के दोषियों को बरी कर गलती की है. शुक्रवार को भी अधिवक्ताओ ने राजस्थान हाईकोर्ट के फैसले को लेकर कहा कि सुप्रीम कोर्ट के कानून की गलत व्याख्या करते हुए राजस्थान हाईकोर्ट ने दोषी अभियुक्तों को बरी किया है. अधिवक्ताओं ने सुप्रीम कोर्ट से जस्थान हाईकोर्ट के फैसले को रद्द करने और ट्रायल कोर्ट के फैसले को बरकरार रखने का अनुरोध किया.


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इन्होंने की पैरवी


पीड़ित परिजनों की ओर से वरिष्ठ एडवोकेट मुकुल रोहतगी, मनिंदर सिंह, शिव मंगल शर्मा और आदित्य जैन ने पैरवी की.
राज्य सरकार की ओर से अटॉनी जनरल आर वेंकंटरमनी और अतिरिक्त महाधिवक्ता मनीष सिंघवी ने पैरवी की.
मामले के मुल्जिमों की ओर से सीनियर एडवोकेट सिद्धार्थ लूथरा और रिबैका जोन ने पैरवी की.