Jaipur: निलंबित मेयर मुनेश गुर्जर के परिजन आए मीडिया के सामने, अपनी पार्टी के आला नेताओं पर लगाए खुलकर आरोप
Jaipur Heritage Nagar Nigam: मुनेश गुर्जर के निलंबन के बाद अब गुर्जर को एक बार फिर कारण बताओ नोटिस जारी किया है. ऐसे में अब निलंबित महापौर मुनेश गुर्जर की चारों तरफ से मुश्किलें बढ़ती नजर आ रही है.
Jaipur Heritage Nagar Nigam: राजस्थान के जयपुर नगर निगम के हैरिटेज में हुए भ्रष्टाचार के मामले को लेकर अब एसीबी(ACB) के बाद अब डीएलबी भी पूरी तरह सक्रिय नजर आ रही है. डीएलबी के अधिकारियों ने मुनेश गुर्जर के निलंबन के बाद अब गुर्जर को एक बार फिर कारण बताओ नोटिस जारी किया है. ऐसे में अब निलंबित महापौर मुनेश गुर्जर की चारों तरफ से मुश्किलें बढ़ती नजर आ रही है.
डीएलबी पूरी तरह सक्रिय
डीएलबी ने 11 अगस्त का एक डिस्पैच लेटर के मुनेश के नाम भेजा है. जिसमें उनसे रिश्वत प्रकरण व पूर्व में एडिशनल कमिश्नर राजेंद्र वर्मा के द्वारा दर्ज करवाई गई F.I.R. के मामले को लेकर कारण बताओ नोटिस दिया गया है. नोटिस के तहत डीएलबी ने मुनेश गुर्जर को 3 दिन का समय दिया गया था. ऐसे में एसीबी की कार्रवाई में संलिप्त पाए जाने को लेकर व नोटिस का जवाब आने के बाद अब डीएलबी निलंबित महापौर के खिलाफ और सख्त कार्रवाई करने के मूड में नजर आ रही है.
कारण बताओ नोटिस
हालांकि इस पूरे मामले को लेकर महापौर मुनेश गुर्जर मीडिया से दूरी बनाए हुए हैं, लेकिन अब मुनेश गुर्जर के परिजन खुलकर मीडिया के सामने आने लगे हैं. जिसके चलते महापौर मुनेश गुर्जर के ससुर रामप्रसाद गुर्जर ने कहा कि डीएलबी द्वारा मुनेश गुर्जर को दिया गया नोटिस एक साजिश है. साजिश के तहत ही बैक डेट में नोटिस दिया गया है, जो की 11 तारीख अगस्त को डिस्पैच हुआ था और 13 अगस्त रात को 10:00 बैजे के करीब हमको दिया गया है.
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रामप्रसाद गुर्जर ने कहा कि सरकार व डीएलबी साजिश के तहत कार्रवाई कर रहे है. उनको कार्रवाई क करने से पहले मेयर मेयर गुर्जर से पूरे मामले को लेकर पूछताछ करनी चाहिए थी. रामप्रसाद गुर्जर ने कहा कि हमें न्यायपालिका पर पूरा भरोसा है और अब न्यायपालिका का निर्णय ही पूरे मामले को साफ करेगा.
न्यायपालिका का निर्णय
निलंबित मेयर मुनेश गुर्जर के पिता बलवीर गुर्जर का कहना है की पूरी तरह षड्यंत्र किया गया. इसमें अपनी पार्टी के किसी बड़े नेता का हाथ है. क्योंकि विपक्ष वाले तो चुप बैठे हैं, लेकिन अपने ही लोगों ने षड्यंत्र करके मुनेश गुर्जर व उसके पति सुशील गुर्जर को फसाया है. बलबीर गुर्जर ने कहा कि जो परिवादी है उसका कोई पट्टा नहीं है और जो पकड़ा भी गया है वह भी मुनेश गुर्जर और सुशील गुर्जर के घर में नहीं पकड़ा गया. लेकिन राजनीतिक षड्यंत्र के चलते दोनों को फसाया गया है.
राजनीतिक षड्यंत्र या भ्रष्टाचार में लिप्त
बलवीर गुर्जर ने कहा कि जो परिवादी है. उसने खुद ने स्वीकार किया है कि वह पिछले 23 सालों से निगम में दलाली का कार्य करता है तो मुनेश गुर्जर तो 3 साल पहले मेहर बनी है. ऐसे में की सरकार उसके खिलाफ कार्रवाई करनी चाहिए जो इतने लंबे समय से निगम में भ्रष्टाचार फैला रहा है.
निलंबित सुशील गुर्जर के भाई व मेयर गुर्जर के देवर सुशील गुर्जर का कहना है कि पार्टी के ही किसी बड़े नेता के इशारे पर उनके खिलाफ षड्यंत्र किया गया है. रमेश गुर्जर ने आरोप लगाते हुए यह भी कहा कि पार्टी के एक बड़े नेता चाहते थे कि निगम से कमाई उन तक पहुंचे लेकिन हम इन सब से दूर थे इसलिए उनके खिलाफ यह षड्यंत्र रचा गया और उनके भाई सुशील गुर्जर भाभी मुनेश गुर्जर को षडयंत्र के तहत फंसाया गया.
एफआईआर की कॉपी
डीएलबी भी ने भी आनन-फानन में निलंबन की कार्रवाई कर दी और अब डीएलबी बर्खास्त की कार्यवाही करने के लिए बैक डेट में नोटिस जारी कर जवाब मांग रही है. रमेश गुर्जर ने कहा कि हमें न्यायपालिका पर पूरा भरोसा है और कोर्ट में हमारी सुनवाई है. सुनील गुर्जर के भाई रमेश गुर्जर ने डीएलबी की कार्रवाई पर सवाल उठाते हुए कहा कि एसीबी ने जो एफआईआर की कॉपी भेजी है, उसमें सुशील गुर्जर और मेयर मुनेश गुर्जर के रंगे हाथों पकड़े जाने का कोई जिक्र नहीं किया. लेकिन डीएलपी ने भ्रष्टाचार की संलिप्तता को लेकर मुनेश गुर्जर को निलंबित किया कर दिया. क्या डीएलबी में इतनी क्वालीफाई लोग नहीं है जो एसीबी की FIR को पढ़ भी सके, जबकि उसकी एक कॉपी साथ में लगाई है.
मुनेश गुर्जर निलंबित
हालांकि निलंबन की कार्रवाई के बाद मुनेश गुर्जर मीडिया से दूरी बनाए हुए हैं, मुनेश गुर्जर के परिजन अब मीडिया के सामने आए हैं व उन्होंने खुलकर अपनी ही पार्टी के आला नेताओं पर आरोप लगाए हैं. मुनेश गुर्जर के परिजनों का कहना है कि उन्हीं की पार्टी के कुछ आला नेताओं के इशारे पर यह पूरा षड्यंत्र किया गया. जिसमें बेगुनाह लोगों को बताया गया है मैप निलंबित मेंयर मुनेश गुर्जर के परिजनों का कहना है कि अब हमें न्यायपालिका पर भरोसा है और कोर्ट में सुनवाई के बाद ही पूरे मामले में सच्चाई की जीत होगी.