Jaipur: कब मिटेगा पिंकसिटी में गंदगी का `दाग`, करोड़ों खर्च के बावजूद गारबेज फ्री सिटी हकीकत से कोसों दूर
पिंकसिटी जयपुर में गंदगी, अतिक्रमण, जाम, लपका और अव्यवस्थाओं का दाग लगा हुआ हैं. जो थमने का नाम नहीं ले रहा. जब वीआईपी विजिट होती है तो यह दाग छिपाए जाते हैं. वीआईपी के लौटने और स्वच्छता सर्वेक्षण की टीम लौटने के बाद सड़कों पर अतिक्रमण, अवैध पार्किंग, ऑटो स्टैंड से लेकर पर्यटकों से छीना झपटी का शुरू हो जाता है.
Jaipur Nagar Nigam Greater News: कहने को तो शहर में डोर-टू-डोर कचरा संग्रहण के लिए हूपर और सफाई कर्मचारियों की लंबी-चौडी फौज हैं. करोड़ों खर्च करने के बावजूद शहर की स्वच्छता पर कचरे का दाग लगा है. स्वच्छ सर्वेक्षण-2023 में नंबर-1 आने का संकल्प लेकर काम कर रहे नगर निगम ग्रेटर की मैदानी स्तर पर तैयारियां अभी अधूरी हैं.कचरा 100 प्रतिशत नहीं उठना, रात्रिकालीन सफाई नहीं होना आदि स्वच्छता की परीक्षा के नतीजे बिगाड़ सकते हैं.स्वच्छ सर्वेक्षण का समय बढ़ने की वजह से नगर निगम की तैयारी भी सुस्त हो गई है फिर नगर निगम ग्रेटर क्षेत्र में कचरा-कचरा नजर आने लगा हैं.आखिर कब पिंकसिटी से गंदगी का दाग हटेगा?
पिंकसिटी में गंदगी का दाग
पिंकसिटी में गंदगी, अतिक्रमण, जाम, लपका और अव्यवस्थाओं के दाग हैं. जब भी वीआईपी विजिट होती है तो यह दाग छिपाए जाते हैं. स्वच्छ सर्वेक्षण होता है तो सफाई व्यवस्था चाक-चौबंद कर दी जाती हैं. वीआईपी के लौटने और स्वच्छता सर्वेक्षण की टीम लौटने के बाद सड़कों पर अतिक्रमण, अवैध पार्किंग, ऑटो स्टैंड से लेकर पर्यटकों से छीना झपटी का वही पुराना राग फिर शुरू हो जाता है. यानी चार दिन की चांदनी शहरियों के लिए फिर अंधेरी रात जैसी हो जाती है.जयपुर की प्रदेश ही नहीं देश में अपनी पहचान हैं. शहरी सरकार की मुखिया से लेकर अफसरों ने अपने बयानों में जयपुर को स्मार्ट सिटी, गारबेज फ्री सिटी बनाने के कई बार सब्जबाग दिखाते रहे हैं.लेकिन हकीकत इससे कोसों दूर है.
गंदी नालियां शहर की पहचान
शहर को साफ-सुथरा रखने के तमाम इंतजाम ध्वस्त हैं. जगह-जगह लगे कचरे के ढेर, गंदी नालियां शहर की पहचान बन चुकी हैं. बावजूद इसके लिए कागजों में शहरी सफाई का दंभ भरने से नगर निगम प्रशासन नहीं चूकता. हर महीने सफाई के नाम पर करीब एक करोड़ का बजट खर्च होने के बाद भी स्वच्छता के मानकों में शहर की हालत पतली है. हर साल जनवरी-फरवरी में होने वाला स्वच्छ सर्वेक्षण इस बार अप्रैल के मध्य या फिर अंतिम सप्ताह में होगा. 2022 में फाइनल सर्वे मार्च में हुआ था लेकिन इस बार इसे बढ़ाकर अप्रैल तक टाल दिया गया है. सर्वेक्षण का समय बढ़ने की वजह से नगर निगम की तैयारी भी सुस्त हो गई है.जबकि उसे अपनी कमियां दूर करने के लिए डेढ़ माह का अतिरिक्त समय मिल गया है. उसके बावजूद नगर निगम प्रशासन अपनी पतली हालात को ठीक करने की जहमत नहीं उठा रहा हैं.
नई गाइडलाइन में तीन श्रेणी सेवा स्तर
दरअसल स्वच्छ सर्वेक्षण की परीक्षा वर्ष-2022 में 7500 अंक की हुई थी. जबकि वर्ष 2023 में बढ़ाकर 9500 अंक कर दिए गए हैं. यानी पॉलिथीन प्रतिबंध से लेकर कचरे के निपटारे सहित सभी पैरामीटर पर नगर निगम को अधिक काम करना होगा. नई गाइडलाइन में तीन श्रेणी सेवा स्तर प्रगति, प्रमाणीकरण और सिटीजन वॉइस में अंकों को मिलाकर 9500 अंक तय किए हैं. इसमें भी कार्यों का विभाजन किया है और हर कार्य के लिए अलग-अलग अंक तय दिए हैं. एक श्रेणी में जो अंक तय हैं, उसी में से मूल्यांकन होगा और फिर सभी श्रेणियों के प्राप्त अंक जोड़कर रिजल्ट बनेगा. थीम के अनुरूप ही इस बार 48 प्रतिशत यानी 4525 नंबर अकेले सर्विस लेवल प्रोग्राम यानी कूड़े को लेकर सेग्रीगेशन, प्रोसिसिंग व डिस्पोजल पर आधारित रहेंगे.
नगर निगम ग्रेटर आयुक्त ने कही ये बात
नगर निगम ग्रेटर आयुक्त महेन्द्र सोनी का कहना हैं की स्वच्छ सर्वेक्षण में देरी का फायदा राजधानी के नगर निगमों को अपनी तैयारियों को दुरूस्त करने में मिल सकता हैं. निगम ग्रेटर जोनवाइज कचरा संग्रहण के लिए नई कवायद कर रहा हैं. निगम अपने सभी जोन के ई हूपर की व्यवस्था करने जा रहा हैं.दोगुनी क्षमता के इन हूपर पर निगरानी के लिए व्हीकल ट्रेकिंग सिस्टम भी होगा. अब निगम के झोटवाड़ा और सांगानेर जोन में भी 20 अप्रैल यानि की अगले महीने में 106 बड़े हूपर सफाई की व्यवस्था को मजबूत करेंगे. जबकि जगतपुरा और विद्याधर नगर जोन में वर्कऑर्डर जारी होने के बाद अगले डेढ़ माह में 108 नए हूपर आ सकेंगे.
हर रोज औसतन 1500 मीट्रिक टन कचरा निकलता है
मानसरोवर जोन में ई हूपर (बैटरी संचालित) मंगाने की तैयारी भी की जा रही हैं. इससे पहले ग्रेटर निगम ने अभी मालवीय नगर और मुरलीपुरा जोन के डोर टू डोर कचरा संग्रहण के लिए टेंडर कर चुका हैं. जिसके तहत मालवीय नगर के 26 वार्डों के लिए 65 हूपर और मुरलीपुरा जोन में 52 हूपरों से डोर-टू-डोर कचरा संग्रहण का काम हो रहा हैं. निगम प्रशासन ने 4 जोन क्षेत्रों में नए हूपर के जो टेंडर किए है, उनमें बड़े हूपर शामिल है. एक हूपर 1200 किलो कचरा एक ट्रीप में उठाएगा. इसके साथ सभी हूपर पर व्हीकल ट्रेकिंग सिस्टम लगा होगा.
वहीं ऑडियो सिस्टम के साथ ड्राइवर के अलावा एक कर्मचारी अतिरिक्त भी होगा. अभी जो हूपर शहर में दौड़ रहे है, वे करीब 800 किलो ही कचरा संग्रहण कर रहे है. जबकि मानसरोवर जोन क्षेत्र के लिए ई-हूपर के टेंडर कर लिए है. 25 फीसदी हूपर शाम को भी बाजारों से कचरा संग्रहण करेंगे. सोनी ने बताया की जयपुर ग्रेटर एरिया में हर रोज औसतन 1500 मीट्रिक टन कचरा निकलता है. जो घर-घर से संग्रहण करने के अलावा बाजारों से निकलता है. इस कचरे को घरों से लेकर कचरा ट्रांसफर स्टेशन और वहां से डंपिंग यार्ड तक पहुंचाया जाता है. इसके अलावा ओपन डिपो और मुख्य सड़कों से कचरा उठाने का काम भी किया जाता हैं. बड़े हूपर से जहां समय बचेगा वहीं, टाइम पर कचरे वाली गाड़ी लोगों के घरों पर पहुंच सकेगी. वीटीएस होने से इन गाड़ियों की मॉनिटरिंग भी दुरूस्त हो पाएगी.
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खामियाजा लोगों को भुगतना पड़ रहा
बहरहाल, हमारा शहर कितना स्वच्छ और सुंदर है. इसका आंकलन करने स्वच्छता सर्वेक्षण टीम आने वाली है. वह कभी भी आ सकती है. सुरक्षित पर्यावरण में साफ वातावरण की भी अहम भूमिका होती है. लेकिन जिस एजेंसी पर शहर को साफ सुथरा रखने की जिम्मेदारी है.वहीं पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने पर आमादा है. शहर में पड़े कचरे के ढेर, उनमें मुंह मारते पशु, कूड़ेदान के बजाय सड़क पर गंदगी पड़ी रहना और आए दिन कूड़े में लगाई जाने वाली आग शहर के वातावरण को प्रदूषित कर रही है. इतना ही नहीं सड़कों पर बेची जा रही निर्माण सामग्री से सड़कों पर उड़ती धूल को रुकवाने में भी नगर निगम फेल साबित हो रहा हैं. जिसका खामियाजा सीधे तौर पर शहर के लोगों को भुगतना पड़ रहा है.